बिहार राज्य महिला सशक्तीकरण नीति-2015 पर राज्य मंत्रिपरिषद ने मुहर लगा दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके लिए कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई जिसमें केवल इसी एक एजेंडे पर विमर्श हुआ। डॉ. राम मनोहर लोहिया के सपनों को साकार करने एवं सुशासन को कारगर रूप से लागू करने के उद्देश्य से यह नीति बनाई गई है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित मिशन मानव विकास की कैबिनेट कमेटी इस नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी। इस नीति के अनुरूप राज्य की समेकित कार्ययोजना बनाने के लिए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के स्तर पर विभागीय सचिवों की एक समिति रहेगी, जो एक महीने के अंदर कार्ययोजना तैयार करेगी। मुख्यमंत्री का मानना है कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए महिलाओं की शिक्षा आवश्यक है। अगर लड़की मैट्रिक पास है तो उस दंपती की प्रजनन दर का राष्ट्रीय औसत 2 है। बिहार में भी इनकी प्रजनन दर 2 है। अगर लड़कियों 12वीं पास हैं तो ऐसे दंपती का देश में औसत प्रजनन दर 1.7 है, जबकि बिहार में 1.6 है। यह राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है। अगर सब लड़कियां प्लस टू तक पढ़ लें तो जनसंख्या दर स्थिर होगी। 40 वर्ष बाद जनसंख्या दर नीचे आ जाएगी।
कैबिनेट की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया ने महिला सशक्तीकरण पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने बहुत पहले ही उनकी शिक्षा और स्वच्छता को प्राथमिकता देने की बात कही थी। राज्य सरकार ने इसे ध्यान में रखकर कई योजनाएं शुरू कीं। इनमें पोशाक, साइकिल, मुफ्त शिक्षा जैसे कई योजनाएं हैं। यह बात भी अहम है कि सुशासन के चार मुख्य अंगों में महिला सशक्तीकरण भी शामिल है। शेष कानून का राज, रूरल कनेक्टिविटी और समावेशी विकास है। उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारधारा की जानकारी पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से बच्चों को बहुत कम मिलती है। अधिकारियों को भी समाजवादी विचारधारा की अच्छी जानकारी रखनी चाहिए।