जीतन राम मांझी ने टिकट बटवारे में सामाजिक न्याय के आंदोलन से जुड़ी पार्टियों के सामने एक लम्बी लकीर खीच दी है. मांझी ने 20 प्रतिशत टिकट मुस्लिम प्रत्याशियों को दिया है.
विभिन्न दलों के टिकट बटवारे के जो रुझान अब तक स्पष्ट हुए हैं उससे साफ पता चलता है कि कोई भी दल मुस्लिम प्रत्याशियों को उनकी आबादी के अनुपात में टिकट नहीं देने वाला. चाहे यह राजद हो, जद यू हो. भाजपा से वैसे भी मुसलमानों को उम्मीद नहीं.
हालांकि ये सुशील मोदी ही हैं जिन्होंने पिछले छह महीने में चार बार इस बात को दुहराया था कि इस बार उनकी पार्टी टिकट बटवारे में मुस्लिमों को उचित प्रतिनिधित्व देगी. लेकिन टिकट बटवारे की जो तस्वीर भाजपा ने पेश की है, उससे साफ हो गया है कि कई जाने पहचाने चेहरे, जिनमें मंत्री तक शामिल हैं को ठेंगा दिखा दिया गया है. जमशेद अशरफ और मोनाजिर हसन दोनों बिहार में मंत्री रह चुके हैं और दोनों ने भाजपा का दामन इस उम्मीद में थामा था कि उन्हें टिकट दिया जायेगा. पर आज दोनों अपने हाल पर छोड़ दिये गये हैं.
हालांकि किसी भी दल में अब तक टिकट बटवारे का काम अंतिम रूप से सामने नहीं आया है लेकिन अब तक जितने मुसलमानों को टिकट मिला है उससे साफ लगता है कि कोई भी पार्टी मुसलमानों की 17 प्रतिशत आबादी के बराबर टिकट देना तो दूर, दस प्रतिशत टिकट भी नहीं देने जा रही हैं.
हालांकि इस मामले में हिंदुस्तान अवाम मोर्चा ने तमाम दलों को पीछ छोड़ दिया है. मांझी की पार्टी 20 सीटों से चुनाव लड़ रही है और उसने 4 टिकट मुसलमानों को दिया है. यह कुल टिकट का 20 प्रतिशत है. जो मुसलमानों की वास्तविक नुमाइंदगी से 3 प्रतीशत ज्यादा है.
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