अपनी व्यथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, कहें तो किससे कहें. नौकरशाहों पर नियंत्रण मामले में वह लाचार पहले से थे. अब पीएम मोदी की कड़कमिजाजी से उनका दम घुट रहा है.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन
2014 में गृहमंत्री का ओहदा संभालते ही मोदी कैबिनेट ने पहला झटका दिया था. उनकी पसंद के पीए को फौरन हटा दिया गया. और अब तो उनके गृहसचिव को आननफानन में हटा दिया गया है.
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बताया जाता है कि गृह सचिव एलसी गोयल सिर्फ राजनाथ सिंह की सुनते थे. इसलिए सरकार उन्हें हटाना चाहती थी. लेकिन गोयल को हटाने से भी ज्यादा दुखदायी, राजनाथ सिंह के लिए यह था कि जिन दो अफसरों के नाम राजनाथ ने नये गृहसचिव के लिए सुझाये थे उन नामों पर कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी कमेटी ने चर्चा तक नहीं की और राजीव महर्षि को नया गृह सचिव बना दिया गया. वह भी उन राजीव महर्षि को जो कुछ घंटों बाद रिटायर होने वाले थे. दैनिक भास्कर ने अपनी इनसाइड स्टोरी में लिखा है- “राजनाथ इस फैसले से नाराज थे. यही वजह थी कि सोमवार शाम जब महर्षि ने पदभार ग्रहण किया, तब राजनाथ मंत्रालय में मौजूद ही नहीं थे. आम तौर पर मंत्री की मौजूदगी में ही सचिव पदभार ग्रहण करते हैं”.
पीए भी पसंद की नहीं रख सकते राजनाथ
गृहमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद राजनाथ सिंह ने आईपीएस अधिकारी आलोक सिंह को अपना निजी सचिव नियुक्त किया था, पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईपीएस अधिकारी आलोक सिंह की गृह मंत्री के निजी सचिव के रूप में नियुक्ति पर रोक लगा दी थी.
नौकरशाहों पर नकेल कसने में मोदी सरकार काफी सख्त मानी जाती है. गृहसचिव का पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. और अब तक के सवा साल में मोदी सरकार ने दो गृहसचिवों को समय से पहले हटा दिया है. इससे पहले अनिल गोस्वामी को तो बर्खास्त किया गया था. गोस्वामी पर आरोप था कि उन्होंने शारदा घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह की गिरफ्तारी को रुकवाने की कोशिश की थी. इससे पहले विदेश सचिव सुजाता सिंह को भी मोदी सरकार ने समय से पहले हटा दिया था.