यह भूमि अधिग्रहण अध्यादेश है क्या?, क्या यह सचमुच अलोकतांत्रिक और ब्रिटिश राज के मनमानी कानून की तरह है जैसा कि अन्न बता रहे हैं. आइए इन के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानें.
मोदी सरकार ने भूमि अदिग्रहण यानी किसानों या आम जनता की जमीन को पैसे के बल पर ले लेने का अध्यादेश जारी किया है. इसके तहत-
- सरकार जब चाहे और जिस क्षेत्र में चाहे आम जनता की जमीन ले सकती है और इसके लिए उसे जमीन मालिक से सहमति की भी जरूरत नहीं है. मतलब आप की मिलकियत, सरकार जब चाहे खत्म कर सकती है. सरकार ने यह प्रावधान रक्षाउत्पादन, ग्रामीण इन्फ्रा, औद्योगिक कॉरीडोर के लिए किया है.
- पहले यानी यूपीए सरकार में यह गुंजाइश थी कि सरकार खेती योग्य जमीन नहीं ले सकती लेकिन एनडीए सरकार के इस नये प्रस्ताव में वह खेती की जमीन भी ले सकती है और उसका मालिक सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का भी हक नहीं रख सकेगा.
- अगर सरकार आपकी जमीन ले लेती है तो आप इसके खिलाफ किसी भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का हक भी नहीं रखते. मतलब कि आप की अदालत में भी कोई सुनवाई नहीं होगी.
- अगर एक बार सरकार ने आपकी जमीन लेने की घोषणा कर दी और उसने उस पर कोई काम शुरू किया या नहीं किया वह उसकी हो जायेगी. जबकि मनमोहन सरकार के कानून के अनुसार अगर उस भूमि पर पांच साल तक कोई काम शुरू नहीं किया गया तो जमीन का मालिक उस जमीन को वापस लेने का हक था.
अन्ना हजारे ने जंतर-मंत्र पर इस अध्यादेश को काला कानून बताते हुए कहा कि ऐसे कानून तो अंग्रेजों के जमाने की याद ताजा करते हैं. उनका कहना है कि लोकतांत्रिक देश में ऐसे कानून स्वीकार नहीं किया जा सकते. अन्ना ने कहा कि यह अलोकतांत्रिक कानून है.
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