मनोहर पर्रिकर अब चुप हैं. विदेश सचिव एस जयशंकर ने उनके झूठ में पलिता लगा दिया है. पर्रिकर ने यह कहके कि सेना ने पहले कभी सर्जिकल स्ट्राइक नहीं किया सेना के गौरवशाली इतिहास को नकारा और देश की सवा सौकरड़ जनता को झांसा दिया.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डाट काम
विदेश सचिव एस जय शंकर ने संसदीय समिति में स्वीकार किया कि पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक हुए हैं लेकिन यह पहला अवसर है कि सरकार ने सर्जिक स्टाइक को सार्वजनिक किया.
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री ने कहा था कि हमारी सरकार से पहले कभी भी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक नहीं किया. लेकिन गंभीर बात यह है कि जय शंकर का यह बयान संयुक्त संसदीय समिति में दिया गया बयान है. यह सरकार का औपचारिक बयान है. अब सवाल उठता है कि रक्षा मामलों के सर्वोच्च पद पर बैठे मनोहर पर्रिकर ने देश की 125 करोड़ लोगों से इतना बड़ा झूठ क्यों बोला.
यह देश की भावनाओं के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ है इसे समझा जा सकता है. जो मंत्री देश के लोगों के सामने झूठे फैक्ट रखे उन्हें एक पल भी मंत्रिमंडल में बने रहने का हक नहीं है. उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए और नैतिकता की बुनियाद पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
यह न सिर्फ देश की जनता के से छल है बल्कि उनके इस बयान से सेना का भी अपमान होता है. हर भारीतय को अपनी सेना के पराक्रम और बहादुरी पर नाज है. लेकिन पर्रिकर के यह बयान कि सेना ने पहले कभी सर्जिकल स्ट्राइक किया ही नहीं, सेना का मनोबल गिराना और उसे नीचा दिखाना है. पर्रिकर के इस बयान से देश की जनता आहत हुई है. आखिर इतने बड़े जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति देश की गौरवशाली सेना के स्वाभिमान और उसके पराक्रम को झुठला कैसे सकता है.
एक मंत्री को यह हक कभी नहीं दिया जा सकता कि वह सेना द्वारा पूर्व में किये गये आपरेशन को ही नकार दे. जबकि फैक्ट यह है कि 30 अग्सत 2011 को भारतीय सेना ने आपरेशन ‘जिंजर’ के नाम से पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया . इसमें उसने पाक सेना के 13 जवानों को मार गिराया. इस आपरेशन से जुड़े दस्तावेज द हिंदू अखबार ने हाल ही में प्रकाशित किया. लेकिन एक रक्षामंत्री की हैसियत से मनोहर पर्रिकर ने सेना की इस बहादुरी को झुठला दिया.
हालांकि 18 अक्टूबर को संसदीय समिति की बैठक में विदेश सचिव एस जय शंकर ने पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक करने की बात को स्वीकार करके सच्चाई पर मुहर तो लगा दी लेकिन रक्षा मंत्री ने सेना की ताकत को कम करके पेश करने और देश की सवा सौ करोड़ जनता को डार्क में ऱखने का गुनाह तो कर ही दिया. शायद उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि वह सेना की शानदार कामयाबी का श्रय अपनी सरकार को दे सकें.
इस मामले में कांग्रेस ने मनोहर पर्रिकर के इस झूठ के खिलाफ अपनी नारजगी प्रकट की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजबब्बर ने अपने फेसबुक पेज पर इसे पर्रिकर के झूठ पर विदेश सचिव का सर्जिकल स्ट्राइक कहा है. लेकिन इस मामले में सरकार का राजनीतिक नेतृत्व चुप है. सरकार को इस पर स्पष्टिकरण देना चाहिए. और उसे मनोहर पर्रिकर के पद पर बने रहने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.