रविवार को नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण के बाद राजभवन की लॉबी में अल्पाहार व चर्चा की व्यवस्था थी। इसमें राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के साथ पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, असम के मुख्यमंत्री तरुण गगोई, जदयू अध्यक्ष शरद यादव, सासंद केसी त्यागी, कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोरा, प्रदेश प्रभारी सीपी जोशी, हरियाणा विधान सभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला और सांसद दुष्यंत कुमार भी मौजूद थे। चाय पार्टी में राजद नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी व रामचंद्र पूर्वे, कांग्रेस के अशोक चौधरी व सदानंद सिंह, स्पीकर उदय नारायण चौधरी, परिषद सभापति अवधेश नारायण सिंह भी उपस्थित थे।
नौकरशाही ब्यूरो
राजभवन की चाय की गरमी के साथ राजनीतिक माहौल भी गरम था। राज्यपाल अकेले भाजपाई, जबकि अन्य भाजपा को घेरने वाली पार्टियों के नेता। करीब 45 मिनट तक गहमागहमी रही। लगभग सभी मंत्री भी मौजूद थे। दृश्य एकतरफा नीतीशमय था। चाय पर चर्चा का विषय निश्चित रूप से भाजपा के खिलाफ गोलबंदी नहीं रही होगी, लेकिन इतना तय था कि भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने में जुटे नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया कि राजनीति का अगला केंद्र दिल्ली से खिसक कर पटना आने वाला है और उसमें नीतीश की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।