चुनावी जीत के जश्न के माहौल में राष्ट्रीय जनता दल के अंदरखाने में नाराजगी के नासूर  भी पनप रहे हैं. इस नासूर में मवाद तेजी से फैल रहा है.rjd

इर्शादुल हक, एडिटर, नौकरशाही डॉट इन

नौकरशाही डॉट इन को पता चला है कि वरिष्ठ विधायकों को दरकिनार किये जाने से अनेक वरिष्ठ नेता आहत हैं.

राष्ट्रीय जनता दल अपने अस्सी विधायकों के बूते सत्ता में मजबूत भागीदार बना है. 8 नवम्बर को रिजल्ट आने के बाद राजद विधायक दल की बैठक के बाद से ही विधायकों का एक तबका, लगतार हो रहे कई फैसलों से आहत है.

राजद ने 30 नम्बर को विधानसभा और विधान परिषद में विधायक दल के नेता के रूप में क्रमश: तेजस्वी यादव व राबड़ी देवी को बनाया है. इस फैसले से भी अनेक नेता आहत हुए हैं.

आहत होने वालों में आम तौर पर वरिष्ठतम विधायक हैं. लेकिन कोई भी विधायक आनरिकार्ड इस पर कुछ भी नहीं कहना चाहता. इन विधायकों की नाराजगी की वजह अनेक हैं. सबसे पहली वजह तो कई वरिष्ठों को मंत्री नहीं बनाया जाना है.इसके अलावा तेजस्वी यादव को विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाना,कई वरिष्ठ मंत्रियों को तेजस्वी यादव के मातहत मंत्रियों के रूप में स्थान दिया जाना और विधान परिषद में राबड़ी देवी को दल का नेता घोषित करना- ये तमाम ऐसे फैसले हैं जिनसे पार्टी विधायकों के एक तबके में बेचैनी का माहौल पनपा है.

“मुझ जैसे दर्जनों नेता सफोकेशन फील कर रहे हैं. पिछले 20-25 दिनों में जो भी फैसले लिये गये हैं वे काफी निराश करने वाले हैं. लालूजी के परिवार के एक-एक सदस्य को हमारे सरों पर बिठाया गया है. सीनियरिटी का भी ख्याल नहीं रखा गया”- एक वरिष्ठ नेता

 

अनेक फैसलों से बढ़ी निराशा

गोपनीयता की शर्त पर एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, “मुझ जैसे दर्जनों नेता सफोकेशन फील कर रहे हैं. पिछले 20-25 दिनों में जो भी फैसले लिये गये हैं वे काफी निराश करने वाले हैं. लालूजी के परिवार के एक-एक सदस्य को हमारे सरों पर बिठाया गया है. सीनियरिटी का भी ख्याल नहीं रखा गया”.

ऐसा नहीं है कि ये शिकायत सिर्फ एक नेता की है. ऐसी शिकायतों का जखीरा अनेक विरष्ठ नेताओं के दिलों में जमा हो रहा है. पर सवाल यह है कि वे अपनी बात हाईकमान तक क्यों नहीं रख रहे? इस सवाल का ठोस जवाब किसी भी शिकायतकर्ता नेता के पास नहीं है. शायद यह उनकी सियासी बेबसी है. एक सूत्र का कहना है कि “हम अभी उचित समय का इंतजार कर रहे हैं”.

 

सरकार के गठन के बाद कई नेताओं की उम्मीद रहती है कि उन्हें सत्ता में भागीदारी और संगठन में जिम्मेदारी मिलेगी. सत्ता में भागीदारी यानी मंत्री बनाने की संभावना  अब सीमित है. अब दूसरे चरण का मामला संगठन का है. आने वाले महीनों में दल के अंदर महत्वपूर्ण पदों पर चुनाव और नियुक्तियों का है. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी के ‘इग्नोर’ महसूस करने वाले नेताओं का क्या रुख होता है.

ऐसा नहीं है कि पार्टी के एक तबके में छायी बेचैनी का अहसास पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद को नहीं होगा. लालू संगठन, सरकार और सियासत के मामलों की एक-एक गतिविधियों को बारीकी से भांप लेने वाले नेता हैं.

आने वाले दिनों में कुछ नेताओं की नाराजगी का कितना और कैसा असर होगा यह कहना मुश्किल है. क्योंकि नाराज नेताओं में से किसमें कितना साहस है यह राजद सुप्रीमो को भी पता है, और उन्हें यह भी पता है कि उनकी नाराजगी को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427