उच्चतम न्यायालय ने सिनेमाघरों में फिल्म शुरू करने से पहले राष्ट्रगान बजाये जाने के मामले में अपने पूर्व के आदेश को और स्पष्ट करते हुए आज कहा कि यदि सिनेमा या वृत्त चित्र में राष्ट्रगान का इस्तेमाल किया गया है तो दर्शकों को दोबारा खड़े होने की जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ किया कि किसी सिनेमा, न्यूजरील या वृत्त चित्र में राष्ट्रगान का इस्तेमाल किया गया है यानी अगर राष्ट्रगान किसी फिल्म का हिस्सा है तो उस पर लोगों को खड़े होने की जरूरत नहीं है। पीठ ने यह भी साफ किया कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के वक्त लोगों को खड़ा होना पड़ेगा, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वे राष्ट्रगान गाएं ही।
दरअसल, हो यह रहा था कि किसी-किसी फिल्म में दो बार राष्ट्रगान बज रहा था। ऐसा हाल में दंगल फिल्म में हुआ था। एक बार राष्ट्रगान न्यायालय के आदेश के अनुसार बजाया गया था । वहीं एक बार राष्ट्रगान फिल्म की पटकथा का हिस्सा होने की वजह से बजा। इससे लोगों को थोड़ा अजीब लगा । न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रगान राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा है। शीर्ष अदालत के आदेश के मुताबिक, ध्यान रखा जाए कि किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रगान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार ने न्यायालय के आदेश का समर्थन किया ।
सुनवाई के दौरान एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, “यह सवाल देश के नागरिकों की देशभक्ति की भावना दिखाने का है। जब इसे लेकर कोई कानून नहीं है तो उच्चतम न्यायालय का आदेश अहम हो जाता है। राष्ट्रगान को सिनेमाघरों के अलावा सभी स्कूलों में जरूरी किया जाए, क्योंकि देशभक्ति की भावना की शुरुआत बच्चों से की जानी चाहिए।” इस मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।