पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार को गतलफहमी हो गयी है कि राष्ट्रपति उनका समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी ने राष्ट्रपति के चुनाव में प्रणव मुखर्जी को समर्थन दिया था। इसलिए इनको गलतफहमी है कि वे राष्ट्रपति से अपने अनुकूल फैसला करवा लेंगे। इसी उम्मीद में बार-बार यह कहा जा रहा है कि हम राष्ट्रपति के समक्ष अपने समर्थक विधयकों का परेड कराएंगे।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक के पूर्व मख्यमंत्री बोमई मामले में उच्चत्तम न्यायालय के फैसले ने तय कर दिया है कि सरकार के बहुमत को फैसला विधानसभा में होगा, सड़क पर नहीं। इसके लिए राष्ट्रपति के समक्ष पैरेड करवाने की कोई जरूरत नहीं है। पूर्व सांसद ने कहा कि राष्ट्रपति न्यायालय के फैसले से बंधे हुए हैं। वह भी जब विधान सभा का सत्र पांच दिन बाद ही आहुत है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तो साफ कहा है कि मेरा बहुमत साबित नहीं होगा तो स्वतः ही मैं हट जाऊंगा।
श्री तिवारी ने कहा कि मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर बैठने की इतनी बेचैनी का प्रदर्शन नीतीश जी को शोभा नहीं दे रहा है। दिल्ली चुनाव पर भी आनन फानन प्रेस कॉन्फ्रेंस करना उसी तरह की बेचैनी दिखा रही है। जैसे ‘आप ‘ इन्हीं की वजह से दिल्ली में ऐसा कारनामा कर पायी है। बिहार में उनकी असली परीक्षा तो अगले विधान सभा चुनाव में होने वाली है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और बिहार की राजनीति अलग-अलग है। इसलिए यह मान लेना कि दिल्ली में हारी भाजपा, बिहार में भी हार जाएगी। यह अवधारणा नीतीश के लिए खतरनाक होगी।