बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेल बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस रेल बजट में कुछ भी नया नहीं है वहीं फेसबुक पर आम लोगों की क्या राय है आइए पढ़ें.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रेल बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डीजल के दाम में कमी आई है, इसे देखते हुए किराए में कमी की जानी चाहिए थी.उन्होंने कहा कि इस बजट में कोई कार्यपरियोजना नहीं है. नीतीश कुमार खुद रेल मंत्री रह चुके हैं.उन्होंने मांग की कि बिहार में चल रही रेल परियोजनाओं को पूरा करने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
अरुण कुमार वरिष्ठ- पत्रकार
आप सभी मित्रों की प्रत्याशा के विपरीत मैं इस रेल बजट से थोडा खुश हूँ. अरे भाई रेल ट्रेक उतना ही और पोपुलिज्म के चक्कर में ट्रेनों की संख्यां हर रोज रोज बढाते भी जाओ ये क्या है ? फिर उपर से ट्रेन लेट चलने की भी शिकायत करो. मेल और एक्सप्रेस को हर स्टेशन पर रुकवाओ और कहो कि ट्रेन समय पर भी चले. राजधानी / शताब्दी जैसी ट्रेनों को भी भाई लोग अपने अपने स्टेशन पर रुकवाने की मांग करते हैं और उन्हें प्न्क्चुअलिटी की भी शिकायत है ? हिंदी में एक कहावत है ” हँसब ठठायब फुलायब गालू” हंसेंगे भी और गाल भी फुलायेंगे – यह एक साथ नही हो सकता.
शाहिद अख्तर ने दुष्यंत कुमार के शेर में अपनी प्रतिक्रिया दी है. वह लिखते हैं
तुम किसी रेल -सी गुजरती हो
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ…!
अरुण साथी–वाह प्रभु जी लोकलुभावन नहीं, एक साहसिक रेल बजट…पोल्टिक्स से हटकर कुछ नया करने का प्रयास.
धीरज सिंह,वैशाली,बिहार.भारतीय जुमला पार्टी(भाजपा) के रेलमंत्री जहाँ यात्रीयों के लिए किराया नही बढ़ाया! भाजपा का रेल जुमला है क्योंकि दैनिक जरूरत जो कि मालगाड़ियों से ढुलाई होती हैं उसपर अच्छी खासी भाड़ा वृद्धि की है..
चम्पक पेरिवाल- कुछ समय पहले रेलवे का श्वेत पत्र आया था | लेकिन सरकार ने समाधान की जगह यात्री सुविधा को बढाने की बात कही और राजस्व बढाने के लिये कंपनीयो के नाम पर ट्रेन और स्टेशन का नाम रखा जाऐगा
गुंजन सिन्हा- वरिष्ठ पत्रकार– रेलवे कई जरूरतों में से बस एक है। कोई बताये, सिर्फ इसी का बजट अलग से क्यों पेश होता है। ज्यादा जरूरी है शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार आदि के अलग बजट और इन पर उसी तरह बहस होनी चाहिये जैसे रेल बजट पर होती है।
रौशन कुमार झा”बिटू”– रेल बजट नहीं ये जनता के साथ खेल बजट है:-
आज जो रेल बजट रेल मंत्री सुरेश प्रभु पेश किये वो अब तक का सबसे बुरा एवं दुर्भागयपूर्ण है! क्यों की अब तक के इतिहास मे ये पहला मौका है जिसमे भारतीया गरीब जनता के लिये कोई नई ट्रेन नहीं मिल सका ये एहसास उन लोगो को नहीं होगा क्युकी वो लोगो के लिये रेल की कोई जरुरत नही है क्युकी वो लोग तो हेलीकॉप्टर , हवाईजहाज से यात्रा करते हैं और ट्रैन मे भीड़ का सामना आम जनता को करना परता है.
बिनय कुमार उपाध्याय
मोदी सरकार के द्वारा यह कह कर अपनी-पीठ-अपने ही थपथपाना कि, किराया नहीं बढ़ाया…लोगों को गुमराह करना है, क्योंकि किराया कम होना चाहिए। अभी हाल ही रेल किराया बढ़ाया गया था। डीजल के दाम कम हुए हैं, फिर भी किराया नहीं घटाया गया। फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट के तहत लोगों को बीस फीसदी राहत मिलनी चाहिए थी। पांच साल में रेलवे का कायाकल्प कर बुलेट ट्रेन चलाने वाले मोदी सरकार को बने नौ महीने हो गए, लेकिन जमीन पर कुछ भी शुरू नहीं हुआ!
सुखदीप कोमल– का कटाक्ष
ट्रैन में सफर करने वाले यात्री बहुत वर्षों से मांग कर रहे थे के टॉयलेट के मगे की चेन लम्बी की जाये, लो सरकार ने मगा ही wi-fi कर दिया….
ना रहेगा बांस ना ही धुलेगी बांसुरी, स्टार्ट यूसिंग पेपर नैपकिन्स.
आलोक कुमार– रेल बजट जनता के हित में नहीं है क्योंकि न तो किसी नई रेलगाड़ी और न ही कोई नई रेल लाइन बिछाने की घोषणा की गई है.उन्होंने कहा कि बजट में केवल अहमदाबाद और मुंबई को जोड़ने की बात की गई है, क्योंकि प्रधानमंत्री अहमदाबाद और रेल मंत्री मुंबई के हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रतिक्रिया कॉपी पेस्ट
मोहम्मद शाहिद- हे प्रभु! आपकी लीला अपरंपार है। चालू टिकट वो भी ऑनलाइन! आहाहा
हेमंत कुमार- प्रभु! railway inquiry को toll free कर देते. हर कॉल पर तीन रुपये काटता है. इस जेब तराशी की घोषणा तो किसी बजट में नहीं की गयी थी. प्रभु! इतनी मेहरबानी करते ,चलती ट्रेन में यात्रियों को पता चल जाता कि कहाँ बर्थ या सीट खाली है. टीटी से फरियाने में बड़ी आसानी होती.