टेप प्रकरण ने सरकार की छवि पर असर तो डाला है पर गठबंधन सरकार की मजबूती पर आखिरी मुहर भी लग गयी है वहीं भाजपा इससे जितना लाभ ले सकती थी ले लिया पर सबसे बड़ा फायादा तो शहाबुद्दीन को हुआ है.
इर्शादुल हक, ए़डिटर नौकरशाही डॉट कॉम
जद यू राजद की एकता पर लगी मुहर
यह पहला अवसर है जब जद यू और राजद के बीच ऊहापोह की स्थिति खत्म हुई है. वरना पिछले ड़ेढ़ वर्ष में मीडिया के एक वर्ग और खुद भाजपा इस कंफ्युजन को बढ़ाने में कामयाब रहे थे कि राजद और जदयू के बीच काफी दरार है और नीतीश कुमार कभी भी मौका पा कर लालू प्रसाद से अलग हो सकते हैं. लेकिन लालू-शहाबुद्दीन टेप प्रकरण के बाद जद यू ने अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, लेकिन खुल कर अपना पक्ष उजागर करके साबित कर दिया है कि राजद और जद यू के गठबंधन में कोई गांठ नहीं पड़ने वाला. जद यू के वरिष्ठतम नेताओं में से एक केसी त्यागी को, नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने किया और त्यागी ने जो बयान दिया वह दोनों दलों की एकता की पुष्टि करता है. त्यागी ने कहा कि यह सब को पता है कि नीतीश कुमार ही एक ऐसे नेता हैं जो नरेंद्र मोदी को देश भर में सबसे मजबूत चुनौती दे सकते हैं इसी लिए भाजपा ने नीतीश कुमार की छवि को खराब करने की कोशिश की है. उन्होंने यहां तक कहा कि खुद नरेंद्र मोदी सूरज भान जैसे( आपराधिक छवि) नेता को को मुंगेर की सभा में ‘जी’ कहके संबोधित कर चुके हैं, ऐसे में भाजपा को दूसरे पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.
त्यागी के इस बयान से यह स्पष्ट हो चुका है कि टेप मामले में दोनों दलों के बीच मजबूत समझ है और इससे गठबंधन की मजबूती सामने आयी है.
भाजपा को मिला मुद्दा, पर फायदे की उम्मीद कम
पिछले एक महीने से भी अधिक समय से भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी लालू परिवार पर विभिन्न प्रकार के आरोपों का पुलिंदा ले कर पड़े हुए हैं. इसी क्रम में भाजपा को राजद पर वार करने का एक नया हथियार मिल गया है. लिहाजा उसने इस मामले का राजनीतिक लाभ लेने में जरा भि विलंब नहीं किया और जितना हो सका इसका लाभ लेने की उसने कोशिश की.
शहाबुद्दीन की ताकत का हुआ एहसास
जो भी विश्लेषक शहाबुद्दीन के सार्वजनिक जीवन पर नजर रखते हैं उन्हें पता है कि शहाबुद्दीन बिहार के आपराधिक छवि वाले दर्जनों नेताओं में से एक मात्र नेता हैं जो जेल के अंदर से एक खास अंतराल पर सुर्खियां बटोर कर अपनी उपयोगिता साबित करते रहे हैं. वरना लगभग एक दशक से जेल के अंदर रह कर भी किसी के लिए यह संभव नहीं कि वह, विवादों में ही सही, मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं. आनंद मोहन सरीखे नेता जो फिलवक्त सजा काट रहे हैं उनकी कभी कोई चर्चा तक नहीं होती, लेकिन शहाबुद्दीन हमेशा चर्चा में रह कर सार्वजनिक जीवन में अपनी मौजूदगी जताने में कामयाब रहते हैं. टेप खुलासा मामले में उनके एक समर्थक ने लिखा कि- अब पता चला कि शहाबुद्दीन सचमुच के शेर हैं. वह पिंजड़े में रह कर भी सत्ता के शीर्ष पर बैठे नेता को निर्देश देने की मुद्रा में बात कर सकते हैं तो जरा सोचो कि यह शेर बाहर आ जाये तो क्या होगा. उधर राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने साफ किया कि शहाबुद्दीन उनकी पार्टी के नेता हैं और रहेंगे. वह पार्टी कार्यकारिणी के सदस्य हैं यह नहीं भूलना चाहिए. शहाबुद्दीन के प्रति ऐसे बयान दे कर राजद ने शहाबुद्दीन के महत्व पर मुहर लगायी है जो पार्टी में शहाबुद्दीन के कद को रखांकित करता है.
बिहार सरकार की छवि पर असर, सरकार बेअसर
इस टेप के उजागर होने के बाद निश्चित तौर पर नीतीश सरकार के प्रति एक वर्ग में नाराजगी बढ़ी है. सुशासन पर उंगलियां उठी हैं पर नीतीश सरकार इस मामले पर बहुत तूल देने के बजाये इस उबाल से उबरना चाहेगी. सरकार के लोग तर्क खोजने में जुटे हैं कि जब 2014 के पहले नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तो एक टेप उजागर हुआ था जिससे पता चला था कि मानसी सोनी नामक महिला के सारे मूवमेंट की जानकारी एक साहब के कहने पर ली जाती थी. कहा गया था कि ये साहब नरेंद्र मोदी थे. उस टेप में अमित शाह को बार बार साहब का उल्लेख करते सुना गया था. जब भाजपा ने इस टेप को नकार दिया तो गुलेल डॉट कॉम ने नरेंद्र मोदी के साथ मानसी सोनी की तस्वीरें सार्वजनिक कर दी. इसके बाद भाजपा ने चुप्पी साध ली. इस मामले के बावजूद मोदी 2014 के चुनाव में प्रचंड बहुमत से प्रधान मंत्री बन गये. नीतीश सरका के रणनीतिकारों को यही उम्मीद है कि शहाबुद्दीन टेप मामले का कोई राजनीतक असर नहीं होने वाला.
नये नवेले चैनल को मिली पहचान
एक नये नवेले चैनल, ने वही हथियार अपनाया जो अपनी पहचान बनाने के लिए अकसर किया जाता है. उसने लालू प्रसाद और शहाबुद्दीन के बीच कथित तौर पर हुई बातचीत को सार्वजनिक कर सोशल मीडिया पर उसकी टीम ने ट्रेंड कराने के सारे नुस्खे इस्तेमाल किये और वह इसमें कामयाब भी रहा. इस तरह उसने पहले ही दिन बड़ी तादाद में दर्शकों/पाठकों का ध्यान अपनी तरफ खीच लिया. अर्नब गोस्वामी के इस चैनल ने अपने इस मिशन में एक हद तक सफलता तो हासिल कर ली लेकिन साथ ही उसने अपने लिए यह लकीर भी खीच ली कि वह भाजपा समर्थित मीडिया के तर्ज पर काम करेगा. सोशल मीडिया पर आई टिप्पणियों में कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया आयीं हैं. इसके समर्थन में तर्क पेश करते हुए कुछ पाठों ने लिखा कि इस चैनल में भाजपा समर्थित नेत आर चंद्रशेखरन का पैसा लगा है. राजद नेता जगदानंद सिंह ने परोक्ष रूप से अर्नब गोस्वामी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यूपी के दूर्दांत अपराधिक छवि वाले अमन मणि त्रिपाठी ने यूपी के सीएम आदित्यनाथ के पैर छुए तो कोई सवाल नहीं उठाया गया.