स्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्ट्रोरल असिस्टेंस के अनुसार, दुनियाभर के अनेक देशों में मतदान करना अनिवार्य है, 19 देश तो ऐसे हैं जहां वोट नहीं डालने पर सजा का प्रावधान भी है.
अनिवार्य रूप से मतदान वाले देशों में प्रमुख हैं बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अर्जेटीना, ऑस्ट्रिया, साइप्रस, पेरू, ग्रीस और बोलीविया।
नागरिक कर्त्तव्य
भारत समेत फिलीपींस, थाइलैंड, वेनेजुएला, लक्जमबर्ग आदि देश ऐसे हैं जहां पर मतदान केवल नागरिक कर्त्तव्य है, किसी प्रकार की बाध्यता नहीं।
वोट नहीं देने पर सजा
कई ऐसे देश हैं जहां इस कर्त्तव्य के पालन न करने पर सजा का भी प्रावधान है। ‘अनिवार्य मतदान’ नियम लागू वाले कुल देशों में से 19 तो ऐसे हैं जहां इस नियम को तोड़ने पर सजा भी दी जाती है।
* पेरू और ग्रीस में मतदान न करने वाले व्यक्ति को कुछ दिन के लिए सार्वजनिक सेवाओं जैसे परिवहन आदि से वंचित कर दिया जाता है।
* बोलीविया में वोट न देने वाले का तीन महीने का वेतन रोक दिया जाता है।
* तुर्की की संसद ने 1986 में यह बिल पास किया कि अगर कोई डॉक्टर मतदान के दिन अनुपस्थित रहता है तो उसे तीन अमेरिकन डॉलर का हर्जाना भरना होगा।
बुजुर्गों को राहत
जहां पर भी ‘कंपल्सरी वोटिंग’ प्रावधान लागू है वहां पर इसके अंतर्गत केवल 18-70 वर्ष तक के लोग आते हैं। उसके ऊपर की आयु वर्ग के लोगों के लिए यह बाध्यता नहीं होती।
सख्त कानून
* ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील में मतदान न करने पर इससे अनुपस्थित रहने का प्रमाण सहित कारण बताना होता है।
* अर्जेटीना में पुलिस के पास इस बात का प्रमाण पत्र जमा कराना होता है कि मतदान के दिन आप कहां थे।
बेहतर कौन
पक्ष
* वोटरों की बढ़ी संख्या के कारण राजनीतिक वैधता बढ़ेगी। विजेता को बहुसंख्य आबादी का समर्थन मिलेगा।
* सामाजिक वंचितों को मताधिकार का प्रयोग करने से रोकने वाली प्रवृत्ति खत्म हो जाती है।
* चरमपंथी या विशेष हित समूह के लिए मुख्यधारा के प्रत्याशियों की तुलना में सत्ता पाना कठिन हो जाता है।
* चुनावों में धन कम खर्च होता है।
* इसकी वजह से नागरिक शिक्षा और राजनीतिक उत्प्रेरण मिलने के कारण प्रबुद्ध आबादी विकसित होती है।
* अधिक मतदान से राजनीतिक अस्थिरता की गुंजाइश कम होती है।
* इससे लोगों की राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रकटीकरण होता है।
विपक्ष
* व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होता है।
* वोटिंग को नागरिक कर्तव्य के बजाय नागरिक अधिकार के रूप में देखा जाता है। भाषण के अधिकार, विवाह जैसे नागरिक अधिकारों में जिस तरह जबर्दस्ती नहीं की जा सकती उसी तरह वोट देने के मामले में भी व्यक्ति की इच्छा सर्वोपरि होनी चाहिए।
* अनिवार्य मतदान की वजह से कुछ लोग कानूनी दायित्वों के महज निर्वहन के लिए वोटिंग करते हैं। ऐसे 1-2 प्रतिशत वोटर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
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