पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि हाईकोर्ट के 100 वर्ष की स्वर्णिम यात्रा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संविधान के पहले संशोधन में पटना हाईकोर्ट के एक फैसले की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इसी प्रकार दरभंगा महाराजा कामेश्वर सिंह के मुकदमें में पटना हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया था, वही बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का आधार बना। इसी फैसले में मौलिक अधिकार की रक्षा एवं कल्याणकारी राज्य के सिद्धांत की व्याख्या की गई। संविधान के उद्देशिका को अक्षुण्ण बनाए रखने में पटना हाईकोर्ट की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
श्री मुखर्जी ने शताब्दी वर्ष की शुभकामना देते हुए जजों और वकीलों को कंधे-से कंधे मिलाकार न्यायपालिका की गाड़ी को आगे बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसी से संविधान गारंटी और लोकतंत्र की सफलता सुनिश्चित कराई जा सकती है। इसके पहले उन्होंने राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी,भारत के मुख्य न्यायधीश एच एल दत्तू,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय विधि मंत्री सदानंद गौड़ा, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश एल नरसिंहा रेड्डी के साथ दीप प्रज्जवलित कर समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपित ने रिमोट से डाक टिकट भी जारी किया, जो शताब्दी वर्ष के लिए विशेष रूप से तैयार की गई थी।
न्यायधीश दत्तू ने भी एक स्मारिका का विमोचन किया। समारोह को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति एच एल दत्तू ने पटना हाईकोर्ट के गौरवशाली इतिहास की चर्चा विस्तार से की। राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली खंभा है। पटना हाईकोर्ट ने अपने कार्यों से इसे चरितार्थ करता है। केंद्रीय विधि मंत्री सदानंद गौड़ा ने शताब्दी समारोह की सफलता के लिए पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश, न्यायमूर्ति एल एन रेड्डी तथा अन्य जजों और वकीलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल होकर उन्हे गर्व का अनुभव हो रहा है।