जदयू विधानमंडल दल के नेता नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में संसदीय प्रणाली और संघीय ढांचा पर हमला किया जा रहा है। आज दिल्ली से पटना लौटने के बाद संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मांझी को समय देकर राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने खरीद-फरोख्त का मौका उपलब्ध करा दिया है।
श्री कुमार ने कहा कि राज्य में 12 विधायकों के सहारे सरकार चल रही है। यह सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है। भाजपा मांझी के बहाने खुद सत्ता में आना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन का लगाने का बहाना तलाश रही है। लेकिन जतना सब देख रही है। दिल्ली से भी बुरा हाल भाजपा का बिहार में होगा। श्री कुमार ने कहा है कि जदयू विधायकों के टूटने और भटकने की अफवाह भी फैलायी गयी, लेकिन सब निराधार साबित हुए। जदयू विधायक दल अटूट है और सभी विधायक एकजुट हैं।
विधानमंडल दल के नेता पर दिया स्पष्टकीरण
श्री कुमार ने विधानमंडल दल के नेता चुने जाने के लेकर हाईकोर्ट के निर्णय पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विधायक दल का नेता और विधानमंडल दल का नेता होना दोनों अलग-अलग बात है। जदयू के विधायकों ने हमें विधानमंडल दल का नेता चुना है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। विधानमंडल दल का नेता अपनी सदन में पार्टी का नेता होता है। इसमें कोई विवाद नहीं है। हम विधायक दल के नेता नहीं हैं। जदयू विधायक दल के नेता विजय कुमार चौधरी हैं और विधान सभा में वही नेता होंगे। इस मौके पर पूर्व मंत्री पीके शाही ने हाई कोर्ट के फैसले पर अपना पक्ष रखा और कहा कि हाई कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या की जा रही है।