सफलता के आसमान छूने वाले सोमनाथ चर्टजी नहीं रहे. मार्क्सवादी नेता की ऐसी शख्सियत थी कि हर दल में उनका सम्मान था. लेकिन जिंदगी भर एक ऐसी आह उनके साथ रही जिसे वह कभी भुला न सके.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता व लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चर्टजी 89 वर्ष की उम्र में चल बसे. उनका लम्बी बीमारी के बाद देहांत हो गया.वह यूपीए की सरकार के दौरान लोकसभा के अध्यक्ष थे. तब 2008 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने यूपीए एक से अपना समर्थ वापस ले लिया था. सरकार के खिलाफ नो कंफिडेंस मोशन में उनकी पार्टी ने पद छोड़ने को कहा था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए पद से इस्तीफा नहीं दिया कि वह लोकसभा के स्पीकर हैं, न कि कम्युनिस्ट पार्टी के. तब पार्टी ने उन्हें निस्काषित कर दिया था. तब सोमनाथ ने कहा था कि वह दिन मेरे जीवन का काला दिन था.
सफलता के आसमान पर
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री नृपेन चक्रवर्ती को भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने निस्काषित कर दिया था. लेकिन उनकी मौत के दो दिन पहले उनकी सदस्यता बहाल कर दी गयी थी. चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु का विरोध किया था. इसका खामयाजा उन्हें भुगतना पड़ा था.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सोमनाथ चर्टजी के बारे में ऊहापोह की स्थिति में रही. अनेक लीडर यह मानते थे कि उनकी सदस्यता बहाल कर दी जानी चाहिए थी. रितब्रता बनर्जी जो सीपीआईएण के पूर्व सांसद हैं, ने कहा कि सोमनाथ चर्टजी अपने आप में संस्थान थे और रहेंगे. वह एक स्वाभिमानी नेता थे जो झुकना नहीं जानते थे.