लोकसभा चुनाव में जीत का असर भाजपा की बिहार इकाई पर गुटबाजी के रूप में प्रकट हो रहा दिखता है. अब बिहार भाजपा के तीन दिग्गज खुदको मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के फिराक में हैं.
बीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो चीफ
सुशील मोदी ने तो पिछले हफ्ते बाजाब्ता फेसबुक पर ‘नेक्सटसीएम ऑफ बिहार’ का एक पेज बना दिया है. उनकी टीम इस काम में जुट गयी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पेज को लाइक करें. उधर नंद किशोर यादव और रविशंकर प्रसाद भी अपनी-अपनी तरह से गोलबंदी में जुट गये हैं. कहने का मतलब है कि भाजपा की बिहार इकाई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
विधान सभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर सत्ता के कई समीकरण बन रहे हैं। कोई विधान सभा में विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव के पक्ष में गोलबंदी कर रहा है तो कोई विधान सभा में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के नेतृत्व में। भाजपा का एक खेमा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी नया नेता के रूप में प्रोजेक्ट करने की चर्चा में जुट गया है।
लेकिन सुशील कुमार मोदी और नंद किशोर यादव का पावरगेम खुलकर सामने आने लगा है। इस का असर विधान मंडल की कार्यवाही तक में देखने कोे मिल रहा है। दोनों सदनों में भाजपा ने हंगामा, वाकआउट और प्रदर्शन की होड़ लगा दी है।
पिछले कई दिनों से दोनों सदन का संचालन शुरू ढंग से नहीं हो पा रहा है। अब स्थिति धक्का-मुक्की और हाथापाई तक पहुंच गयी है। यह स्थिति सदन के अंदर और सदन के बाहर दोनों जगह है। भाजपा और जदयू के बीच कई बार असंसदीय और अशोभनीय व्यवहार को लेकर वाक्युद्ध भी शुरू हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है और जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है। बिना बहस के बजटीय प्रावधान को सदन की मंजूरी मिल जा रही है।
ऐसी स्थिति पर चर्चा करते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सत्ता में आने की संभावना को देखते हुए भाजपा का प्रदेश स्तरीय नेतृत्व उत्साहित हो गया है और इसी उत्साह में मोदी और यादव के बीच अदृश्य प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है और इसका असर विधान मंडल की कार्यवाही में दिखता है। हालांकि भाजपा के विधान पार्षद संजय मयूख कहते हैं कि पार्टी में कोई अंतरविरोध नहीं है। पार्टी जनहित के मुद्दों को लेकर विधान सभा या विधान परिषद की कार्यवाही में सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए और अपना विरोध प्रकट करने के लिए वाकआउट या प्रदर्शन का सहारा ले रही है।