केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी है कि राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल के दिल्ली विधानसभा में सबसे बडे़ दल को सरकार बनाने का न्यौता देने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष आम आदमी पार्टी के दिल्ली में विधानसभा भंग कर फिर से चुनाव कराये जाने की याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई।
इससे पहले दिल्ली में सरकार गठन में हो रही देरी पर उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार और उपराज्यपाल को कड़ी फटकार लगाई है। उच्चतम न्यायालय में दिल्ली में सरकार के मामले पर हुई सुनवाई पर केन्द्र सरकार और उपराज्यपाल से कई तीखे सवाल किए। न्यायालय ने दोनों से पूछा कि सरकार बनाने में अपना रुख स्पष्ट करने में इतना समय कैसे लगा। न्यायालय ने सरकार से यह भी पूछा कि दिल्ली में सरकार का गठन कैसे होगा। न्यायालय ने सवाल किया कि सरकार के गठन में पांच माह का समय क्यों लगा और जनता को चुनी हुई सरकार के शासन में रहने का हक है। सरकार की तरफ से अतिरिक्त सालिस्टर जनरल पी एस नरसिम्हा ने न्यायालय को सूचित किया कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उपराज्यपाल नजीब जंग को दिल्ली विधानसभा में सबसे बडे दल को सरकार बनाने का न्यौता देने को स्वीकृति दे दी है।
आप नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायालय परिसर के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा चुनाव से भाग रही है। यह सब कुछ न्यायालय की सुनवाई को स्थगित कराने के लिए किया जाता है, भाजपा चुनाव नहीं चाहती है। 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अकाली दल के साथ उसकी 28 सीटें हैं और वह सबसे बड़ी पार्टी है। आप के 27 तथा कांग्रेस के आठ विधायक हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय, एक जनता दल (यूनाइटेड) और एक आप से निष्कासित विधायक हैं। तीन सीटें रिक्त हैं, जिन पर चुनाव आयोग ने उपचुनाव कराने की घोषणा की है। इन सीटों पर 25 नवंबर को उप चुनाव होगा।