बिहार के रंगकर्मियों ने एक संयुक्त अपील जारी कर कहा है कि देश को हम किसी भी कीमत पर साम्प्रदायिक और फासिस्ट शक्तियों के हवाले नहीं कर सकते ऐसे में हमें तटस्थ नहीं रहना है.
सांप्रदायिक शक्तियों को पराजित करो और धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक व वामपंथी ताकतों को विजयी बनाओ।
रंगकर्मी ये येमानते रहे हैं कि कलाकार, सृजन करने वाले संस्कृतिकर्मी इस बड़ी सियासी लड़ाई में निरपेक्ष नहीं रह सकते। क्योंकि आज निरपेक्षता और तट्स्थता का मतलब होगा अन्यायी और हत्यारी ताकतों का समर्थन.
रंगकर्मियों की ये समझ है कि लोकसभा चुनाव 2014 में सांप्रदायिक शक्तियां झूठ, फरेब और घोखाधड़ी के माध्यम से हिंदूस्तान की सत्ता पर कब्जा करना चाहती हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आम लोगों के स्वाभाविक गुस्से का इस्तेमाल ये ताकतें अपनी मनुष्यविरोधी फासीवादी एजेंडा को आगे बढ़ाना चाहती हैं।
इन ताकतों ने अतीत में हबीब तनवीर जेसे महान नाटककार को इनके नाटक ‘पोंगापंथ’ के प्रदर्शन के दौरान हमेशा तंग और प्रताड़ित किया. हबीब तनवीर जैसे रंगकर्मी जिन्होंने पूरी दुनिया में हिंदूस्तान के रंगमंच को पहचान दी उनके साथ सांप्रदायिक शक्तियों ने जो बुरा सुलूक किया वो शर्मनाक है.
इसके अलावा एम.एफ हुसैन जैसे अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार को देश छोड़ने पर मजबूर किया । एम.एफ हुसैन को तो मौत भी इन फासीवादी ताकतों के कारण अपने वतन में न हुई। दो गज़ ज़मीन के लिये वे तरस गये.
इसके अलावा इतिहास और संस्कृति के सांप्रदायिकरण के इनके नापाक मंसूबों से पूरा देश वाकिफ है। जर्मनी के महान नाटकार बर्तोल्त ब्रेख्त और सफदर हाशमी ने इन ताकतों के पीछे पूंजी के खूंख्वार चेहरे को बखूबी उजागर किया था।बर्तोल्त ब्रेख्त ने जर्मनी में हिटलर की जीत पर जो कहा था वो हम हिंदूस्तानियों को इस चुनाव के मौके पर आंख खोल देने वाला है.
ब्रेख्त ने कहा था
और, चरवाहे से नाराज़ भेड़ों ने एक कसाई को मौका दे दिया
इन पंक्तियों में छिपे अर्थों अपने देश की परिस्थितियों में लागू कर के देखें तो यह कितना सही और सटीक बैठता है.
लोकसभा चुनाव चुनाव 2014 में ये फिरकापरस्त ताकतें विकास पुरूष के रूप में जिस शख्स को देश के प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर रहे हैं उनका अपने राज्य में मानव विकास सूचकांको के मामले में रिकार्ड बेहद खराब है। साथ ही अल्पसंख्यकों के साथ गुजरात की सरकार का बर्ताव बेहद क्रूर , हिंसक और नृशंस रहा है।
देश में लोगों के सामने भ्रष्ट और सांप्रदायिक सियासत करने वाले दो राजनैतिक दलों में से एक को चुनने का विकल्प दिया जा रहा है। पटना साहिब लोकसभा चुनाव क्षेत्र में दो-दो फिल्मी सितारे (शत्रुध्न सिन्हा और कुणाल सिंह) आज खुद को जनता का रहनुमा बनने के लिए प्रयासरत है। वर्तमान सांसद (शत्रुध्न सिन्हा) ने तो पटना और बिहार के सांस्कृतिक विकास की बात तो छोड़ दें यहां के रंगकर्मियों-कलाकारों के मसलों को भी कभी भी आवाज नहीं दी।
अतः पटना के रंगकर्मी पूरे बिहार के लोगों से यह अपील करती है कि भ्रष्ट ताकतों को सत्ता से हटाए और सांप्रदायिक व फिरकापरस्त शक्तियों को पराजित कर हिंदूस्तान और बिहार में में धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक व वामपंथी विकल्प को मजबूती प्रदान करे।
इस अपील को समर्थन देने वालॊं करने वालों में प्रमुख हैं
1. रणधीर कुमार (निर्देशक, पटना ) 2. मनीष महिवाल (प्रसिद्ध टी.वी एंकर एवं रंगकर्मी) 3. रमेश सिंह (अभिनेता, पटना) 4.धर्मेश मेहता (निर्देशक, पटना) 5.रविशंकर ( अभिनेता व नाटककार , पटना) 6. जयप्रकाश ( अभिनेता, पटना) 7. बिहारी ( अभिनेता, पटना) 8. विनीत राय ( पटना) 9. अनी्श अंकुर (रंगकर्मी,पटना) 10. अभिेषेक नंदन (रंगकर्मी, पटना)
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