9 को RJD का फिर इफ्तार, एक साल पहले बदल गई थी राजनीति

एक बार फिर राबड़ी आवास में इफ्तार है। एक साल पहले यही अप्रैल महीना था, यही इफ्तार था, जिससे बदल गई थी राजनीति। एक साल में भाजपा के चार मंसूबे फेल।

2022 में इफ्तार के मौके पर राबड़ी आवास पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो स्वागत करते तेजस्वी यादव

कुमार अनिल

उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और लालू परिवार की तरफ से 9 अप्रैल को इफ्तार का आयोजन है। इफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर होगा। ठीक एक साल पहले इसी अप्रैल महीने में इसी आवास में लालू परिवार ने इफ्तार का आयोजन किया था। इफ्तार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अन्य नेताओं के साथ पैदल ही टहलते हुए राबड़ी आवास पहुंच गए थे। उसके बाद बिहार की राजनीति हिल गई थी। भाजपा परेशान हो गई थी। पिछले साल राजद का इफ्तार 22 अप्रैल को था, इस बार 13 दिन पहले 9 अप्रैल को है।

एक साल पहले इसी इफ्तार से बिहार की राजनीति बदल गई थी। भाजपा शासित प्रदेशों की सूची से बिहार निकल गया था। नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ कर राजद और अन्य सभी दलों को लेकर महागठबंधन बनाया और नई सरकार भी बनाई। उसके बाद बिहार विधानसभा में भाजपा अकेली विपक्ष की पार्टी रह गई, क्योंकि सारे दल राजद, कांग्रेस, वाम, हम सभी नीतीश कुमार के साथ महागठबंधन में शामिल हो गए।

एक साल में भाजपा ने महागठबंधन सरकार को अस्थिर करने के कम से कम चार प्रयास किए और चारों में फेल रही। भाजपा ने पहले दिन से ही कहना शुरू किया कि बिहार में जंगल राज आ गया। इस नारे का राजद-जदयू ने ताकत के साथ विरोध किया। यूपी, गुजरात में अपराध के आंकड़े दिए। जंगल राज का नारा नीतीश-तेजस्वी सरकार पर चस्पां नहीं हो सका।

भाजपा ने हाल-हाल तक प्रचार किया कि नीतीश कुमार फिर भाजपा के साथ हाथ मिलाने वाले हैं। जबकि नीतीश हमेशा खंडन करते रहे। एक प्रचार साथ-साथ चल रहा था कि जदयू टूट रहा है। आरसीपी के संपर्क में जदयू के 30 विधायक हैं आदि-आदि। यह खबर भी अफवाह ही साबित हुई। जदयू या राजद का एक भी विधायक नहीं तोड़ सकी भाजपा।

भाजपा का तीसरा हमला था तेजस्वी यादव पर कि 10 लाख नौकरी दीजिए। खैर धीरे-धीरे 10 लाख नौकरी का सवाल भी भाजपा के हाथ से निकल गया प्रतीत होता है। इस बीच हर महीने किसी न किसी विभाग में नियुक्तियां हो रही हैं।

भाजपा का चौथा हमला सांप्रदायिक मुद्दे पर है। वह कह रही है कि हिंदुओं के जुलूस पर हमले हुए। लेकिन दुनिया देख रही है कि रामनवमी में किस तरह हिंसा की गई। इस मुद्दे पर भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों ने साफ कर दिया है कि सरकार रहे या जाए दंगाइयों पर कार्रवाई करेंगे। कल नीतीश कुमार ने भाजपा को याद दिलाया कि उन्होंने ही भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे को सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

देखते-देखते एक इफ्तार से दूसरा इफ्तार आ गया। इतना कहा जा सकता है कि जदयू और राजद के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। सरकार में स्थायित्व है और सबसे बड़ी बात दोनों दल 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने पर एकमत नजर आ रहे हैं।

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By Editor


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