मानवता के सम्मान पर क्या है इस्लामी नजरिया

इस्लाम मानवता का सम्मान करने की शिक्षा देता है. यह वह नैतिक पहलु है, जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. इस्लामी सभ्यता व परम्परा और सूफ़िय व मशाइख के कार्य व किरदार में मानव सम्मान के वह उच्च बौधिक व व्यावहारिक नुकूश मिलते हैं

इस्लाम में मानवता का सम्मान

इस्लाम मानवता का सम्मान करने की शिक्षा देता है. यह वह नैतिक पहलु है, जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. इस्लामी सभ्यता व परम्परा और सूफ़िय व मशाइख के कार्य व किरदार में मानव सम्मान के वह उच्च बौधिक व व्यावहारिक नुकूश मिलते हैं, जिन पर अम्ल करके आज भी देशवाशियों के दिलों पर इस्लाम के नैतिक प्रभाव को कायम कर सकते हैं और लोगों के दिलों से इस्लाम के संबंध में संदेह को व्यवहारिक रूप से दूर कर सकते हैं.

          विश्व शांति की स्थापना में सूफीवाद की जरुरत

मानव सम्मान का अंदाजा इस हकीकत से निश्चित तौर पर स्पष्ट होता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब किसी इलाके में गवर्नर नियुक्त करते तो निर्देश देते कि लोगों पर नरमी की जाए, उन्हें डर में मुब्तिला ना किया जाए. मानव सम्मान को मोमिन के विकास का जामिन बताया गया है. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पाक इरशाद में सच्चे मोमिन और इसके इमान की तरक्की के हवाले से यह सराहत मिलती है कि मोमिन हमेशा नेक काम में तरक्की करता है और करता रहेगा, जब तक वह नाजायज और हराम खून ना बहाए और जब हराम खून बहा कर जमीं में फसाद बरपा करेगा तो वह थक कर मायुश बैठ जायेगा बल्कि उसकी तरक्की रुक जाएगी. कुरआन और सुन्नत ने खूंरेजी को सख्ती से निषेध करार दिया है और जहाँ कहीं भी जंग की अनुमति दी गई अहाँ भी असल में मानवता की सुरक्षा ही मद्देनजर रही. कुरआन पाक सही शब्दों में यह एलान करता है कि जिसने किसी एक जान को क़त्ल किया तो उसने पूरी इंसानियत का क़त्ल कर दिया.

इस्लाम ने हमेशा भाईचारा, सहनशीलता और अमन का पैगाम दिया

मानव सम्मान के लिय कुरान की यही शिक्षा प्राप्त है. जो मोमिन है वह मानव सम्मान की इस्लामी शिक्षा को समझते हैं और उन पर अम्ल करने की कोशिश करते हैं और इस बात के गवाह हैं कि इस्लाम में अमन व शांति, मानव सम्मान और मानवाधिकार की सुरक्षा को बुनियादी हैसियत प्राप्त है. इसलिए आज इस बात की आवश्यकता है कि हम मानव सम्मान की शिक्षा पर अमल करें और उनका खूब प्रचार करें ताकि दुनिया से नफरत का अंत किया जा सके और इंसानों को इंसानियत के करीब किया जा सके.

 

By Editor