भक्तचरण पैदल घूमे गांव-गांव, 36 जिलों के कांग्रेसियों को जगाया
विधानसभा-लोकसभा के चुनाव नहीं हैं, फिर भी बिहार कांग्रेस के नेता गांव-गांव घूमे। बात की। पूरे अभियान का नेतृत्व कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास ने किया।
कुमार अनिल
चुनाव से पहले हर दल के नेता गांवों में जाते हैं, लेकिन चुनाव न हो, तब भी पार्टी के नेता गांव-गांव घूमें, तो जरूर कोई खास बात है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास के प्रयास से यह संभव हुआ। जब सारे दलों के प्रमुख नेता राजधानी या अपने शहर में हैं, तब कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता गांव-गांव घूम रहे हैं।
कांग्रेस के प्रभारी भक्तचरण दास ने खुद इस पूरे अभियान का नेतृत्व किया। हर जिले में पैदल घूमे, लोगों से बात की। वे अबतक 36 जिलों में किसान सत्याग्रह यात्रा कर चुके हैं।
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भक्तचरण दास ने कहा कि इस दौरान उन्होंने बिहार को बहुत करीब से देखा। बिहार में गरीब की हालत बहुत भयंकर है। गरीब के पास न तो काम है, न कमाई है। शिक्षा और स्वास्थय मामले में भी हालत बहुत खराब है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मनरेगा शुरू किया था। इससे गरीबों को काम मिलता था। उनके हाथ में पैसा आता था। बिहार में कांग्रेस द्वारा शुरू की गई तमाम योजनाओं को बंद कर दिया गया या उन्हें बहुत ही सीमित कर दिया गया। इसकी सबसे ज्यादा मार गरीबों पर पड़ रही है।
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भक्तचरण दास ने कहा कि उन्होंने देखा कि गांव-गांव में कांग्रेस के समर्थक हैं, कार्यकर्ता है, बस जरूरत है, उनसे संवाद स्थापित करने की। जरूरत है, उन्हें सक्रिय करने की। यह संभव है। कहा, किसान सत्याग्रह यात्रा का उद्देश्य तीन किसान कानूनों के खिलाफ लोगों को संगठित करना था।
कांग्रेस प्रभारी ने जोर देकर कहा कि बिहार को किसान को भी उसकी फसल का एमएसपी मिलना चाहिए। बिहार के किसान की हालत देश में सबसे खराब है। उन्हें एमएसपी मिले, तो उन्की आर्थिक स्थिति बेहतर हेगी। इन्हीं मुद्दों पर कांग्रेस कार्यकर्ता जिला मुख्यालयों पर 25 मार्च को धरना देंगे। आंदोलन को और भी नीचे तक पहुंचाने के लिए 5 अप्रील को प्रखंड मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन होगा।