बिहार में मेरिट घोटाला, सड़कों पर उतरने को मजबूर अभ्यर्थी

जिन्हें बच्चो को पढ़ाना था, वे सड़कों पर नारा लगाने को मजबूर हैं। एसटीईटी का रिजल्ट के बाद हंगामा खड़ा हो गया है। इसे अभ्यर्थी मेरिट घोटाला कह रहे हैं।

फाइल फोटो

प्रतिभा की हत्या और भावी पीढ़ी को शिक्षा से वंचित रखने का इससे बड़ा उदाहरण कहीं नहीं मिल सकता। जिन्हें स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना था वे वर्षों से नौकरी की बाट जोह रहे हैं। दूसरी तरफ शिक्षक बिना भावी पीढ़ी का क्या हाल होगा, इसे समझा जा सकता है। हाल में शिक्षा की गणवत्ता की रिपोर्ट में बिहार सबसे खराब प्रदर्शन करनेवाले राज्यों में शुमार हुआ, लेकिन उसके बाद इस पर कोई गंभीर प्रयास नहीं दिखता। उल्टा फिर से #STET का मामला गरमा गया है।

राजद प्रवक्ता मनोज झा ने ट्वीट किया-बिहार सरकार संभवतः पूरे भारत में एकमात्र ऐसी सरकार है जहां किसी भी नियोजन या नियुक्ति को धांधली-मुक्त नहीं किया जा सकता। ताज़ा उदहारण #STET का है। इतिहास साक्षी है अगर राज्य के युवा को अंधे कुएं के सिवाय कुछ नहीं दे सकते तो सत्ता छोड़ देने का विकल्प इस्तेमाल करिए श्रीमान।

काजल सिंह ने ट्विट किया- जब कहा गया था कि क्वालिफाई करनेवाले सभी को जॉब मिलेगा, तब मेरिट लिस्ट में नाम क्यों नहीं आया। शिक्षा मंत्री जवाब दें। राम इकबाल दूबे ने कहा-सरकार कम से कम शिक्षक बहाल करना चाहती है, ताकि वेतन मद में कम से कम पैसे खर्च करना पड़े। सीटें खाली रह जाने का सरकार को कोई मलाल नहीं क्योंकि शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है।

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Mayank Not in merit list(STET) ने ट्वीट करके उन सभी क्वालिफाइ़ड अभ्यर्थियों को संगठित करने का प्रयास शुरू कर दिया है, जो क्वालिफाइड हैं, पर उनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं है। संगठित होना होगा।

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जय बिहार ने ट्विट करके बताया कि 873 क्वालिफाइड अभ्यर्थियों का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं है। हालात यह है कि एक बार फिर युवाओं को सड़क और कोर्ट में लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

By Editor


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