खाली पड़े सार्वजनिक स्थलों पर नमाज नहीं पढ़ने का बेतुका बयान देने वाले हरियाणा के सीएम पर 11 पूर्व आईएएस अफसरों ने गंभीरता से लिया है. इन पूर्व अफसरों ने चीफ सेक्रेटरी को चार पेज की चिट्ठी लिख कर भारी दबाव बनाया है.
इस पत्र के मिलने के बाद चीफ सेक्रेटरी ने निजी तौर पर पूर्व आईएएस अफसरों को फोन करके इस मामले में कहा है कि मुख्यमंत्री नमाज पर रोक लगाने की बात नही की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह उद्देश्य नहीं था कि नमाज पर रोक लगाई जाये. चीफ सेक्रेटरी ने बाजाब्ता फोन करके इन पूर्व अफसरों से सफाई दी है
गौरतलब है कि ग्यारह पूर्व आईएएस अफसरान म हर्ष मंदर, सुंदर बरुआ, अमिताभ पांडेय, एमए इब्राहिमी, वेंकटेश रमानी, के सुजाता राव, अरुण राय, कृष्णा सहाय, ओमरा सालोदिया, इज शर्मा और आरधेंदु सेन ने इस मामले में सख्त चिट्ठी लिखी है.
इन पूर्व नौकरशाहों ने इन घटनाओं के खिलाफ बेबाकी से अपनी बात रखी है और कहा है कि पिछले कुछ महीनों से विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत अनेक संगठों ने मिल कर मुसलमानों को नामज पढ़ने से भी रोक रहे हैं. चिट्ठी मे कहा गया है कि इन संगठनों ने कानू न के राज को धता बता कर नमाज अदा कर रहे लोगों के सामने जा कर जय श्री राम जैसे नारे लगा कर उन्हें प्रोवोक करते हैं. चिट्ठी में कहा गया है कि यह राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे लोगों की धार्मिक आजादी की रक्षा हो और यह सुनिश्चित हो सके कि उन पर इन संगठनों के लोग हमला ना कर दें.
इस चिट्ठी में इस बात पर गंभीर आपत्ति जताई गयी है कि गुरुग्राम क वजीरबाद समेत कम से कम पांच छह स्थानों पर जहां नमाज अदा की जाती है वहां पहुंच कर भारी व्यवधान उत्तपन्न किया जाता है, इसके बावजूद पुलिस ने उननके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. चि्ट्टी में यह बात भी लिखी गयी है कि यह काफी महत्वपूर्ण है कि नमाजियों ने अब तक अपना धैर्य नहीं खोया और किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं की है.
चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पालम में पिछले वर्ष नमाज पढ़ी जाने वाले स्थान को कोड़ डाला गया. चिट्ठी में चीफ सेक्रेटरी को संबोधित करत हुए लिखा गया है कि आप प्रशासनिक प्रमुख हैं इसलिए आपकी यह जिम्मेदारी है कि आप जिला प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाये रखने और नमाजियों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करें.