आईएएस कौशल किशोर(बायें) ने ढाई साल तक बंटी चौधरी को दौड़ाया पर नहीं मिला लाइसेंस
एक आरटीआई से सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि जमुई में हथियार के लाइसेंस के लिए जहां दो पूर्व और एक मौजूदा विधायक ढाई वर्षों तकयीपापड़ बेलने पर भी असफल रहे वहीं जिला से बाहर के लोगों को लाइसेंस निर्गत करने में भी कोताही नहीं बरती गयी.आईएएस कौशल किशोर(बायें) ने ढाई साल तक बंटी चौधरी को दौड़ाया पर नहीं मिला लाइसेंस
नौकरशाही मीडिया
आरटीआई की इस जानकारी से यह भी पता चला है कि वहां के तत्कालीन डीएम कौशल किशोर ने कुछ ‘खास’ परिवारों के सहोदर भाइयों को भी अलग-अलग लाइसेंस जारी कर दिया जबकि सिकंदरा के वर्तमान विधायक बंटी चौधरी, जमुई के पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह व अजय प्रताप जैसे वर्तमान व पूर्व जनप्रतिनिधि जैसे जिम्मेदार व्यक्तियों को लाइसेंस से वंचित रहना पड़ा.
सिकंदरा के विधायक व कांग्रेस नेता बंटी चौधरी ने डीएम पर इस मामले में पक्षपात, और अपने खास लोगों के लिए अपनी मेहरबानियों का पिटारा खोलने का आरोप लगाया है. चौधरी ने कहा कि लाखों लोगों का प्रतिनिधि होना एक बड़ी जिम्मेदारी व जवाबदेही की बात है. ऐसे में मेरे आदवेदन को तत्कालीन डीएम डा. कौशल किशोर ने कूड़ेदान में डाल दिया, जबकि ऐसे लोगों को लाइसेंस जारी करने में पूरी दरियादिली दिखाई जिनसे उनकी निकटता थी.
इस मामले को काफी गंभीर बताते हुए बंटी चौधरी ने आयुक्त के समक्ष शिकायत की है. इस शिकायत के बाद आयुक्त ने लाइसेंस के लिए प्राप्त आवेदनों और निगर्त किये गये लाइसेंसों की सूची तलब कर ली है.
जमुई के सांसद चिराग पासवान भी रहे हैं नाराज
जमुई के डीएम कौशल किशोर से सांसद चिराग पासवान भी काफी आहत रहे हैं. चिराग ने अपनी नारजगी सीधे सीएम नीतीश कुमार को भी पहुंचाई थी. उन्होंने बाजाब्ता चिट्ठी लिख कर कहा था कि डीएम विकास विरोधी हैं. वह विकास से जुड़े कार्यक्रमों में न तो तवज्जों देते हैं और न ही किसी कार्यक्रम में उपस्थित होते हैं.
गौरतलब है कि जमुई के डीएम डा. कौशल किशोर का अब तबादला हो चुका है और उनकी जगह पर नये डीएम आ चुके हैं. याद रहे कि जमुई एक नक्सल प्रभावित जिला है जहां जनप्रतिनिधियों की जान को खतरा होने के कारण खुद सरकार ने सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए लाइसेंस निर्गत करने की जटिलता को आसान बनाने की बात कई बार कह चुकी है.
मुख्यमंत्री के निर्देश को भी हवा में उड़ाया
विधायक सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी ने कहा कि ढाई साल तक ऑफलाइन और ऑनलाइन के चक्कर में दौड़ते रह गए। उन्हें लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया। चौधरी ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि दस माह तक आवेदन थाने में पड़ा रहा और जिलाधिकारी ने उसकी खोज तक नहीं की। विधायक ने तो यहां तक कहा कि मुंगेर में आयोजित प्रमंडलीय बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने डीएम को लाइसेंस निर्गत करने के लिए मौखिक निर्देश दिया था.
देखिए आरटीआई से प्राप्त सूची, किस-किसको मिला लाइसेंस
आरटीआई के माध्यम से 2017 व 2018 में निर्गत लाइसेंस और आवेदकों की सूची मांगी गई थी जिसके बाद पूरा मामला उजागर हुआ है।
2017 में निर्गत लाइसेंस
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– पंकज कुमार सिंह, पिता स्व. रामानुज सिंह, बेगूसराय
– शंभू प्रसाद सिंह, पिता स्व. रामानुज सिंह, बेगूसराय
– प्रेम कुमार चौधरी, पिता- राघवेन्द्र चौधरी, बेगूसराय
– फिरोज आलम, पिता- मो. अनवर आलम, जमुई
– फारूख आलम, पिता- मो. अनवर आलम, जमुई
– फिरोज आलम, पिता- मो. अनवर आलम, जमुई।
– नीरज कुमार त्यागी, पिता- भीकम सिंह, न्यायिक दंडाधिकारी, जमुई
– कौशल किशोर, पिता- ललितेश्वर कुमार अकेला, डीएम आवास, जमुई
– गरिमा राय, पति कौशल किशोर, डीएम आवास, जमुई
– अमन कुमार झा, पिता संजय झा, डीआईजी सीआरपीएफ, जमुई
– शंभू कुमार, पिता वासुकी सिंह, कुमार, सिकन्दरा
– मो. शहनवाज अली, पिता- मो. शाहजहां अली, सिकन्दरा
– गगन कुमार, पिता- स्व. उमाशंकर गुप्ता, सिकन्दरा
– आशीष कुमार, पिता- विनय प्रसाद गुप्ता, सिकन्दरा
– जलाउद्दीन वेग, पिता- अलाउद्दीन वेग, सिकन्दरा
– विपिन कुमार सिंह, पिता- जनार्दन सिंह, विशनपुर, सिकन्दरा
– अविनाश कुमार, पिता- विपिन कुमार सिंह, विशनपुर, सिकन्दरा