इन दो IAS अफसरों पर टिका है तेजस्वी यादव का राजनीतिक कद
इसमें दो राय नहीं कि तेजस्वी राज्य में सबसे बड़े जनाधार वाले नेता हैं। लेकिन उनकी भविष्य की राजनीति और अच्छे प्रशासक की छवि इन दो IAS अफसरों पर निर्भर है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राज्य में सबसे बड़े जनाधार वाले नेता हैं। उनसे बड़ा जनाधार अकेले किसी नेता के पास नहीं है, लेकिन राजनीति के केंद्र में दशकों तक बने रहने के लिए इतना ही काफी नहीं। बड़े जनाधार के साथ अच्छे प्रशासक की छवि भी जरूरी है, ताकि लोग बिहार को आगे ले जाने, सपनों को पूरा करने के मामले में भरोसा कर सकें। अच्छे प्रशासक की छवि तभी बन सकती है, जब तेजस्वी यादव जो बोलते हैं, वह जमीन पर लागू हो। आम लोग बदलाव को देख सकें। इसके लिए दो आईएएस अधिकारियों पर बहुत कुछ टिका है। एक हैं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत तथा दूसरे हैं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार।
याद रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 से 2010 के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था के क्षेत्र में जो काम किए, उससे उनके बेहतर प्रशासक की छवि बनी, जिसका लाभ 12 साल बाद भी उन्हें मिल रहा है।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में बदलाव की बात करते रहे हैं। लेकिन इन दोनों ही विभागों में अभी तक कोई नया और ऐसा कार्य नहीं किया जा सका, जिसे देशभर में मॉडल के रूप में पेश किया जा सके। तेजस्वी यादव ने पीएमसीएच सहित प्रदेश के बड़े और प्रमुख अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया है। सारे वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की है। योजनाएं बनाई हैं और अधिकारियों को 60 दिनों का टास्क भी दिया। लेकिन अब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं आ पाया है, जिसे आम लोग महसूस करें तथा चर्चा करें।
इसी तरह शिक्षा विभाग में नियुक्तियों की चर्चा होती रहती है। शिक्षा व्यवस्था का एक अंग हैं शिक्षक। वे केंद्र नहीं हैं। केंद्र में तो छात्र-छात्राएं हैं। उन्हें बेहतर शिक्षा मिले, सहूलियत मिले और बदलाव को वे महसूस करें, तभी बात बनेगी। बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चर्चा बहुत होती है, लेकिन सच पूछिए तो अभी तक इस दिशा में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हो सका है। रिजल्ट समय पर प्रकाशित होना काफी नहीं है। यह आम धारणा बन गई है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ढंग से नहीं होती। बिहार सरकार ने सिमुलतला में स्कूल खोला, लेकिन उसका रिजल्ट साधारण ही है। शिक्षा में सुधार सीधे बच्चों के अभिभावक को प्रभावित करता है। सुधार होगा, तो अभिभावक जय-जय करेंगे और हालात बिगड़ेंगे, तो तेजस्वी यादव की अच्छे प्रशासक वाली छवि बनना मुश्किल है।
कहानी ट्रेन
— Dipak Kumar Singh (@DipakKrIAS) June 4, 2023
समर कैम्प- 2023
इन गर्मियों की छुट्टियों में बिहार सरकार शिक्षा विभाग लेकर आ रही हैं रोजाना एक
मज़ेदार कहानी
आज की कहानी – "जन्मदिन"https://t.co/Td6upWkzHY
आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की अशेष शुभकामनायें"
*आइए! हम सब मिलकर प्रकृति संरक्षण का संकल्प लें।*
05 जून
तेजस्वी यादव मीटिंग कर सकते हैं, टास्क दे सकते हैं, लेकिन जमीन पर उतारने में सबसे बड़ी भूमिका तो आईएएस अधिकारियों की ही होगी। स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों विभागों में तेजस्वी यादव के एक निर्देश का पालन होता दिख रहा है वह है नियुक्ति। पद भरे जा रहे हैं। लेकिन असली चुनौती जनहित में की गई घोषणाओं को जमीन पर उतारना है।
तेजस्वी यादव ने अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया, निर्देश दिए, लेकिन उस दिशा में विभाग के आईएएस किस तरह कार्य कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है। अगर तेजस्वी यादव ने बिहार के जिला अस्पतालों को पटरी पर ला दिया, लोगों को इलाज मिलने लगा तथा स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरा तो तेजस्वी की छवि अच्छे प्रशासक की बनते देर नहीं लगेगी। 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में अब ढाई साल का ही समय बच रहा है। तेजस्वी यादव इस दिशा में सतर्क हों, तो उनके लिए अच्छा होगा।
अगुआनी घाट पुल टूटने पर अब फंसी IAS प्रत्यय अमृत की गर्दन