दलित व मुस्लिम जज कितने हैं?केंद्र ने कहा नहीं बतायेंगे
भले ही सूचना का अधिकार सबको है इसके बावजूद एक सांसद के सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने दलित व मुस्लिम जजों की संख्या बताने से साफ इनकार कर दिया है.
All India United Democratif Front के अध्यक्ष व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने संसद में एक लिखित सवाल किया. उन्होंने देश के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में दलित व मुस्लिम जजों की संख्या पूछा तो इसके लिखित जवाब में सरकार ने कहा कि वर्ग और श्रेणी के आधार पर जजों की संख्या मेनटेन नहीं की जाती इसलिए इस सवाल का जवाब नहीं दिया जा सकता.
सरकार की ओर से रवींशंकर प्रसाद ने लिखित जवाब में कहा कि जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 और 127 व 224 के तहत की जाती है जिसके तहत किसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है. इसलिए वर्ग अथवा श्रेणीवार संख्या मेनटेन नहीं की जाती.
बदरुद्दीन अजमल के एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के कुल 160 में से 64 पद खाली हैं. जबकि दिल्ली हाईकोर्ट में 60 में से 31 पद खाली पड़े हैं. जबकि पटना हाई कोर्ट में कुल 53 पदों के विरुद्ध 31 पद खाली पड़े हैं.
दर असल बदरुद्दीन अजमल ने अपने लिखित प्रश्न में सुप्रीम कोर्ट में जजों के पदों की कुल संख्या, वर्तमान में जजों की संख्या, महिला जजों की संख्या के साथ दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के जजों की संख्या पर सवाल पूछा था.
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गौरतलब है कि उच्च अदालतों में रिजर्वेशन लागू करने की लगातार मांग होती रही है. लेकिन इस मांग पर कभी सकारात्मक पहली नहीं की गयी.
बदरुद्दीन अजमल के एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के कुल 160 में से 64 पद खाली हैं. जबकि दिल्ली हाईकोर्ट में 60 में से 31 पद खाली पड़े हैं. जबकि पटना हाई कोर्ट में कुल 53 पदों के विरुद्ध 31 पद खाली पड़े हैं.
देश के 25 हाईकोर्टों में उपबल्ध 1025 जजों के पदों में से 417 पद खाली पड़े हैं.
दूसरी तरफ हैरत की बात है कि आधी आबादी की महिला जजों की कुल संख्या 1080 में से मात्र 77 महिला जज हैं.