जाति गणना के बाद : तेजस्वी ने नोनिया, नीतीश ने दलित रैली की
जाति गणना के बाद : तेजस्वी ने नोनिया, नीतीश ने दलित रैली की। आरक्षण कोटा बढ़ाने पर जदयू और राजद ने आक्रामक प्रचार शुरू किया। भाजपा तिलमिलाई।
बिहार में जाति गणना और खासकर पिछड़ों, अतिपिछड़ों और दलितों का आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने तथा इन वर्गों के लिए कई योजनाओं की घोषणा के बाद बिहार की राजनीति नए दौर में प्रवेश करती दिख रही है। संविधान दिवस पर कल रविवार को पटना में जदयू ने भीम संसद का आयोजन किया, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबोधित किया, वहीं राजद ने दरभंगा में नोनिया सम्मेलन किया, जिसे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने संबोधित किया। इस बदलती राजनीति से भाजपा तिलमिलाई हुई दिख रही है। भाजपा नेता बढ़े हुए आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाने से हिचक रहे हैं और जदयू तथा राजद की रैलियों को फेल बताने में जुटे हैं।
पटना में जदयू की भीम संसद में दो लाख से ज्यादा लोग जुटे। रैली वेटनरी मैदान में हुई। बड़ी संख्या में लोग मैदान के चारों तरफ की सड़कों पर फैले थे। इस रैली को हाल के वर्षों में पटना में हुई सबसे बड़ी रैली माना गया। इस रैली में जुटी भीड़ से खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुश दिखे और मंच से कहा कि बड़ी संख्या में लोग मैदान के बाहर हैं, इस रैली को गांधी मैदान में करना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि दलितों के लिए वे अभी बहुत कुछ करनेवाले हैं।
उधर दरभंगा में कल राजद ने नोनिया सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें बिंद, नोनिया, बेलदार जातियों के लोग जुटे। ये जातियां अतिपिछड़ी जाति श्रेणी में आती हैं। रैली को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने संबोधित किया और जाति गणना की खूब चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अतिपिछड़ों का आरक्षण कोटा बढ़ाया, जिससे इस वर्ग का सशक्तीकरण होगा। जाति गणना के परिणामों को ध्यान में रखकर गरीबों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें हर गरीब परिवार को रोजगार करने के लिए दो लाख रुपए दिए जाएंगे।
खास बात यह है कि दरभंगा में राजद के अतिपिछड़ा सम्मेलन तथा जदयू के पटना में दलितों की रैली दोनों में भारी भीड़ जुटी। इससे भाजपा नेता परेशान दिख रहे हैं। वे आरक्षण पर ज्यादा चर्चा करने से भी बच रहे हैं।
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