Karnal : गजब! पहली बार किसानों के आगे झुकी भाजपा सरकार
गजब हो गया! नौ महीनों से किसानों को किसान नहीं माननेवाली भाजपा सरकार पहली बार अन्नदाताओं के आगे झुकी या कहिए किसानों ने झुकने पर मजबूर किया।
क्या आपको याद है कि पिछले सात वर्षों में किसी भाजपा शासित राज्य के बड़े अधिकारियों ने किसानों के साथ बैठकर प्रेस वार्ता की हो? किसानों की मांग मानी हो और यही नहीं, प्रेस के सामने आकर वह भी किसानों के साथ। अधिकारी यह भी बार-बार कह रहे हों कि वार्ता बहुत ही सौहार्द माहौल में हुई? क्या आपको याद है कि पिछली बार किसी आंदोलनकारी की मौत के बाद कब उसके परिजन को सरकारी नौकरी दी गई? बहुत पहले कभी दी गई थी, तो वह भी मृतक के एक परिजन को, यहां खट्टर सरकार ने मृतक के दो परिजन को नौकरी देने का एलान किया। सारी मांगें मान ली। यह है किसान आंदोलन की ताकत।
आज करनाल में यही हुआ। यहां 28 अगस्त को किसानों पर भयानक लाठी चार्ज किया गया था। लाठीचार्ज खुद जिले के एसडीएम आयुष सिन्हा के आदेश पर हुआ था। वही आदेश, जिसमें एसडीएम ने कहा था कि जो भी किसान सामने आने की हिम्मत करे, उसका सिर फोड़ दो। सैकड़ों किसानों के सिर फूटे और एक किसान सतीश काजल की मौत हो गई थी।
आज हरियाणा सरकार की तरफ से एडिशनल चीफ सेक्रेटरी देवेंदर सिंह व कई अन्य बड़े अधिकारी और किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने संयुक्त प्रेस वार्ता की। इसमें सरकार के प्रतिनिधि ने किसानों की सभी मांगें मानने की घोषणा की। फिर विस्तार से बताया कि सिर फोड़ने का आदेश देनेवाले आईएएस अधिकारी आयुश सिन्हा को एक मीहने की छुट्टी पर भेजा जा रहा है। लाठीचार्ज, एसडीेम की भूमिका और किसान की मौत मामले की उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त जज से सरकार जांच कराएगी तथा मृतक किसान के दो परिजन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। नौकरी एक सप्ताह के भीतर दी जाएगी। न्यायिक जांच भी एक महीने में पूरी होगी।
इसी के साथ किसानों ने करनाल जिला मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना समाप्त कर दिया।
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