केंद्र ने Census रोकी, JDU : जनगणना नहीं, जातीय गणना होगी
हर दस साल पर होनेवाली जनगणना में पहले ही सालभर की देरी हो चुकी है। अब केंद्र ने फिर अगले आदेश तक रोक लगाई। JDU ने कहा, जनगणना नहीं, जातीय गणना होगी।
देश में हर दस साल पर होनेवाली जनगणना में पहले ही एक वर्ष की देरी हो चुकी है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। दस साल बाद इसे 2021 में होना था, लेकिन कोरोना के कारण इस पर रोक लगाई गई। अब केंद्र सरकार ने फिर से अगले आदेश तक जनगणना पर रोक लगा दी है। इसके बाद सवाल खड़ा हो गया कि बिहार में जातीय जनगणना का क्या होगा?
जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया कि जनगणना संबंधी सभी कार्य केंद्र के अधीन है। इसीलिए बिहार में भी जनगणना तो नहीं होगी, लेकिन इससे जातीय जनगणना का कार्य बिल्कुल प्रभावित नहीं होगा। बिहार में जातीय गणना के नाम से सारे कार्य निष्पादित होंगे। बिहार सरकार जातीय गणना का कार्य अपने खर्च से कर रही है। यह निर्णय कैबिनेट से पारित हो चुका है और इस दिशा में कई कार्य चल रहे हैं। इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। बिहार सरकार ने जातीय गणना के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि आवंटित भी कर दी है।
केंद्र सरकार ने दो दिन पहले संसद में जानकारी दी कि देश में जनगणना अगले आदेश तक नहीं होगी। सरकार का कहना है कि 2036 तक आबादी में कितनी वृद्धि होगी, इसका एक आकलन (population projections) सरकार के पास है, इसलिए नीतियों के निर्धारण में कोई परेशानी नहीं होगी। वहीं, कई विशेषज्ञों ने कहा कि जनगणना सिर्फ आबादी का हिसाब नहीं है।
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो निलंजन सरकार ने कहा कि सरकार की नीतियां और कार्यक्रम प्रायः जनगणना के आंकड़ों से बंधे होते हैं। जनगणना सिर्फ आबादी की गिनती नहीं है। सही आंकड़े बिना विस्तृत जनगणना के नहीं मिल सकते। बिना सही आंकड़ों के नीति निर्माण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कई लोगों ने यह भी कहा कि अब तो कोरोना संबंदी कोई प्रतिबंध नहीं है, तब जनगणना रोकना ठीक नहीं है।
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