किसानों के समर्थन में 16 दल एकजुट, लिया ये बड़ा फैसला
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन 16 राजनीतिक दल एकजुट हुए, सभी दलों ने मिलकर लिया ये बड़ा फैसला।
कुमार अनिल
आज देश के 16 प्रमुख दलों ने किसान आंदोलन के पक्ष में संयुक्त प्रेस बयान जारी करके किसान आंदोलन का समर्थन किया और तीन कृषि कानूनों को अविलंब वापस लेने की मांग की। दलों ने संयुक्त बयान में एक बड़ा एलान किया। सारे दल 29 जनवरी को राष्ट्रपति के संबोधन का बहिष्कार करेंगे।
इन 16 दलों के 27 बड़े नेताओं के हस्ताक्षर से जारी इस बयान में केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की गई है। हस्ताक्षर करनेवालों में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, सुरेश कोड्डीकुन्नील, एनसीपी के शरद पवार, सुप्रीया सुले, राजद के मनोज झा, सीपीएम के करीम, शिव सेना के संजय राउत, जेकेएनसी के फारुख अब्दुल्ला, डीएमके के टीआर बालू, तिरुची शिवा, सपा के राम गोपाल यादव शामिल हैं। हस्ताक्षर करनेवालों में अन्य दलों के भी नेता शामिल हैं।
योगेंद्र यादव बोले-मैं देश के गद्दारों से देशभक्ति नहीं सीखूंगा
संयुक्त बयान में कहा गया है कि अबतक 155 किसानों की मौत हो चुकी है। इतना होने पर भी केंद्र सरकार चुप रही। किसानों का पूरा आंदोलन मुख्यतः शांतिपूर्ण रहा है। दुर्भाग्य से 26 जनवरी को कुछ घटनाएं हुईं, जिसकी सबने निंदा की। बयान में यह भी कहा गया है कि अगर सही ढंग से जांच हो, तो गड़बड़ियों के पीछे केंद्र सरकार का नापाक हाथ मिलेगा।
मनोज झा बोले, आज जेपी होते, तो वे भी देशद्रोही कहलाते
तीनों कृषि कानून राज्यों के अधिकार पर हमला है। यह देश के संघात्मक ढांचे पर हमला है। अगर तीनों कानून वापस नहीं लिए गए, तो यह खाद्य सुरक्षा को पूरी तरह खत्म कर देगा। धीरे-धीरे सरकारी खरीद, न्यूनतम समर्थन मूल्य और जन वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की साजिश है।
बयान में केंद्र की मोदी सरकार पर करारा हमला करते हुए कहा गया है कि किसान आंदोलन के प्रति प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार का रवैया उद्दंड, हठी और अलोकतांत्रिक रहा है।