लालू ने जगदानंद को ही क्यों बनाया प्रदेश अध्यक्ष, ये हैं दो कारण
एक बार फिर जगदानंद सिंह का राजद प्रदेश अध्यक्ष बनना तय हो गया। केवल उन्होंने ही नामांकन किया। लालू ने उन्हें ही क्यों बनाया प्रदेश अध्यक्ष? ये हैं दो कारण-
कुमार अनिल
आज राजद प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन का दिन था। इस पद के लिए निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने नामांकन किया। किसी अन्य ने नामांकन नहीं किया यानी अब उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है। कल 20 सितंबर को नाम वापसी की तिथि है, उसके बाद उनके अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर लालू प्रसाद ने जगदानंद सिंह को ही फिर से यह जिम्मेदारी क्यों दी, क्योंकि जगदानंद सिंह कह चुके थे कि वे अब इस जिम्मेवारी से मुक्त होना चाहते हैं।
लालू प्रसाद ने जगदानंद सिंह को दुबारा यह जिम्मेदारी दी, इसके पीछे दो बड़ी वजह है। पहली वजह है, बदली हुई देश और प्रदेश की राजनीति। दिल्ली की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार जिस तरह का व्यवहार विपक्ष के साथ कर रही है, वह आजाद भारत में कभी नहीं हुआ। इससे सभी वाकिफ हैं, लेकिन एक दूसरा पक्ष बेगूसराय में अंधाधुंध फायरिंग के मामले में दिखा। भाजपा ने फायरिंग की आड़ में बिहार में जंगल राज का एलान कर ही दिया था, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूझ-बूझ के साथ इस घटना को अंजाम तक पहुंचाया।
इस तरह राजद के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। जहां उसे केंद्र सरकार द्वारा विपक्षी सरकारों और नेताओं को घेरने की रणनीति का जवाब देना है, वहीं उसे प्रदेश की राजनीति में भी भाजपा के प्रयासों को विफल करना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि भाजपा बिहार में कायम भाईचारे को बिगाड़ने का प्रयास कर सकती है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी भाजपा के खेल से अच्छी तरह परिचित हैं।
इसके साथ ही भाजपा ने जिस तरह देश में दल-बदल को बढ़ावा दिया है, वह भी अभूतपूर्व है। पहले इसे समाज में भ्रष्ट आचरण माना जाता था, अब इसे ऑपरेशन लोटस जैसा सुंदर नाम दे दिया गया है। दलबदल को चाणक्य नीति कह कर महिमामंडित किया जा रहा है।
देश की राजनीति में मूल्यों-विचारों की जगह तिकड़म ने ले ली है। लालू प्रसाद जानते हैं कि यह कठिन समय है। इस कठिन समय में वे कोई नया प्रयोग करने का खतरा नहीं ले सकते थे। इसीलिए उन्होंने फिर से जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी। जगदानंद सिंह भी सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। इसीलिए उन्होंने भी अपना इरादा बदलते हुए फिर से जिम्मेदारी ली। लालू प्रसाद जानते हैं कि आनेवाले समय में भाजपा की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए तेजस्वी यादव को दृढ़-मजबूत सहयोग की जरूरत है। जगदानंद के रहने से तेजस्वी यादव केंद्र सरकार और भाजपा से बेहतर ढंग से लड़ सकेंगे। बिहार में किसी नए नेता को जिम्मेदारी देने से तेजस्वी यादव का काम बढ़ जाता। अब वे कई अंदरूनी मसलों से मुक्त रहते हुए प्रदेश और देश में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
जगदानंद सिंह को फिर से जिम्मेदारी देने के पीछे एक दूसरी वजह यह है कि उनके रहने से पार्टी में सामाजिक संतुलन बना रहेगा। पार्टी का समावेशी चेहरा बना रहेगा कि हर वर्ग के लिए पार्टी में जगह है, चाहे वह सवर्ण ही क्यों न हो। वैसे भी राजद और खुद तेजस्वी यादव सवर्णों को पार्टी से जोड़ने के लिए कई प्रयास करते रहे हैं। बोचहा में उसका पार्टी की दृष्टि से अच्छा परिणाम भी मिला।
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