मदरसों के खिलाफ जहर उगलने वालों के मुंह पर तमाचा है शाहिद की सिविल सर्विसेज में सफलता
संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा में कामयाबी हासिल करना यूं तो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. लेकिन इस सफलता अगर मदरसा से शिक्षा प्राप्त युवा को मिले तो मदरसों के खिलाफ प्रोपगेंडा और जहर उगलने वाली उन ताकतों के मुंह पर करारा तमाचा लगना स्वभाविक है.
खुर्रम मलिक
देश के विख्यात मदरसा नदवतुल उलेमा से पढ़ाई करने वाले Shahid Raza Khan की यह उपलब्धि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गयी जब पिछले दिनों सिविल सर्विसेज परीक्षा का परिणाम आया.
मदरसों में आम तौर पर गरीब बच्चे ही शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं. और आम तौर पर यह धारणा बना दी गयी है कि मदरसों में पढ़ कर आधुनिक समाज का हिस्सा बनना कठिन होता है लेकिन शाहिद रजा खान ने अपनी सफलता का श्रेय मदरसा को देते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि मदरसे में पढ़ने के बाद ही उनके अंदर इतना आत्मविश्वास आया और आज उन्होंने सफलता हासिल की.
Shahid Raza Khan बिहार के ज़िला गया के रहने वाले हैं,इस साल संघ लोक सेवा आयोग में 751 रैंक लाकर बिहार का गौरव बढ़ाया है,सबसे ख़ास बात यह है इन्हों ने मदरसा अशरफियां मुबारकपुर आजमगढ़ से पढ़ाई की ओर फिर उसके बाद Nadwatul Ulama से आलिम की तालीम मुकम्मल की ओर उसके बाद इन्होंने Jawaharlal Nehru University (JNU) New Delhi का रुख़ किया । जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी से शाहिद ने वेस्ट एशियन स्टडीज में एमफिल की पढ़ाई के अलावा इस्लामिक थियोलॉजी का अध्ययन भी किया.
[box type=”success” ]यह ध्यान देने की बात है कि पिछल कुछ वर्षों में राइट विंग रुझान वाले कुछ संगठन मदरसों के खिलाफ झूठ और अफवाह फैलाने में जुटे रहते हैं. ऐसे समय में शाहिद की सफलता उन जहर उगलने वालों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा के रूप में एक नजीर बन गयी है. [/box]
यह ध्यान देने की बात है कि पिछल कुछ वर्षों में राइट विंग रुझान वाले कुछ संगठन मदरसों के खिलाफ झूठ और अफवाह फैलाने में जुटे रहते हैं. ऐसे समय में शाहिद की सफलता उन जहर उगलने वालों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा के रूप में एक नजीर बन गयी है.
Shahid Raza Khan ने जामिया द्वारा आयोजित होने वाली सिविल सेवा कोचिंग में तैयारी की और आज नतीजा आपके सामने है।
Shahid Raza Khan की यह कामयाबी हर उस मुस्लिम नौजवानों के लिए एक मिसाल हैं जो ख़ास कर मदरसा से तालीम हासिल करते हैं। ऐसे तमाम मुस्लिम नौजवानों के लिए आज शाहिद रजा खान प्रेरणास्रोत बन कर उभरे हैं. खास कर उन छात्रों के लिए जिनका तालीमी सफ़र मदरसे से शुरू हुआ हो ओर जो गरीब हैं, और उनको लगता है के वह इस तरह की तैयारी नहीं कर सकते तो उनके लिए यह एक बेहतर मिसाल हैं।
बस जज़्बा सच्चा और जुनून की हद तक होना चाहिए फिर कमयाबी झक मार कर आपके पीछे पीछे आएगी।