मधुबनी में भाजपा के अशोक व महागठबंधन के बद्री का खेल ध्वस्त कर चुके हैं शकील?
बिहार के मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में पांचवें चरण में मतदान सम्पन्न होने के बाद अब जीत-हार के कयासों का दौर जारी है। यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन की लड़ाई में पूर्व मंत्री शकील अहमद किसका स्वाद बिगाड़ेंगे, यह आज तय होकर ईवीएम में कैद हो गया।
मधुबनी से दीपक कुमार
यहां बड़ा सवाल यह है कि भाजपा के सिटिंग सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे इस इलाके में अपने पिता की विरासत संभालने में कामयाब होते हैं या नहीं?
त्रिकोणीय मुकाबला
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने यहां भाजपा के पूर्व सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव को मैदान में उतारा है। जबकि, महागठबंधन ने यह सीट वीआइपी के खाते में दी है। वीआइपी ने मधुबनी में बद्री कुमार पूर्वे को अपना उम्मीदवार बनाया है।
वहीं शकील अहमद बतौर निर्दलीय इसे त्रिकोणीय मुकाबला का रूप दे रहे हैं।
आसान नहीं मुकाबला
मधुबनी में मुकाबला आसान नहीं है। यहां ब्राह्मण वोटर निर्यायक हैसियत रखते हैं। भाजपा को ब्राह्मण सहित कथित अगड़ी जातियों के वोटों पर भरोसा है। ऐसे में अशोक यादव को इस वोट बैंक का लाभ मिल सकता है। साथ ही वे अपनी जाति के कारण महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद के परंपरागत एमवाइ (मुस्लिम-यादव) समीकरण सेंध लगा सके कि नहीं,यह 23 तारीख को ही पता चलेगा। उन्हें कांग्रेस के बागी शकील अहमद के निर्दलीय चुनाव लड़ने का कितना कितना लाभ मिला यह भी मतगणना के दिन ही पता चलेगा।कयासों से मधुबनी के चुनावी मिजाज को भांपना आसान नहीं है। वैसे,जीत के दावे तो सब कर रहा है।
[box type=”download” ]- कुल मतदाता: 1787746 – कुल मतदान केंद्र : 1837 – कुल उम्मीदवार : 17 2014 के नतीजे,एक नजर – हुकुमदेव नारायण यादव (भाजपा): 358040 वोट (विजयी) – अब्दुल बारी सिद्दीकी (राजद): 337505 वोट – प्रो. गुलाम गौस (जदयू): 56392 वोट 2009 के नतीजे, एक नजर – हुकुमदेव नारायण यादव (भाजपा): 164094 वोट (विजयी) – अब्दुल बारी सिद्दीकी (राजद): 154167 वोट – डॉ. शकील अहमद (कांग्रेस): 111423 वोट[/box]
शकील के कारण मुस्मिम वोटों में बिखराव होगा, जिसका लाभ अशोक यादव को मिल सकता है। उधर, महागठबंधन के वीआइपी प्रत्याशी बद्री कुमार पूर्वे के साथ महागठबंधन के घटक दलों के आधार वोट जाने की बात कही जा रही थी,पर ऐसा हुआ नहीं। यही वजह है कि बद्री पूर्वे सीधे तौर पर मीडिया में चिल्ला कर कह रहे हैं कि तेजस्वी ने उन्हें चुनाव का बकरा बनाया। इस चुनाव में शकील अहमद बड़ा चेहरा हैं। उनके साथ मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण स्पष्ट रूप से सामने आया है।इसके अलावे सीपीआई का साथ भी शकील अहमद को जीत की दहलीज पर पहुंचा दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।शकील अहमद दोनों प्रमुख गठबंधनों का न सिर्फ खेल बिगाड़ सकते हैं,बल्कि जीत का परचम भी लहरा सकते हैं।मतदान सम्पन्न होने के बाद भी एक अजीब खामोशी मधुबनी में पसरी है। दावे के साथ कोई यह कहने की स्थिति में नहीं है कि मधुबनी हम जीत रहे हैं।
पिता की विरासत संभालने की चुनौती
राजग उम्मीदवार अशोक कुमार यादव अपने पिता हुकुमदेव नारायण यादव की विरासत को आगे बढ़ाने की लड़ाई लड़ रहे हैं तो विकासशील इनसान पार्टी (वीआइपी) के उम्मीदवार बद्री कुमार पूर्वे ने क्षेत्र में नया इतिहास रचने के लिए खूब पसीना बहाया।लेकिन,गठबंधन धर्म की शकील अहमद ने कमर ही तोड़ दी।इस वजह से बद्री पूर्वे की नैया डूबती नजर आ रही है।
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राजग उम्मीदवार अपने पिता के कामों के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाए हुए थे तो मुकेश सहनी के उम्मीदवार बद्री पूर्वे मोदी विरोधी वोटों को एकजुट करने में लग हुए थे,पर कामयाबी कितनी मिली,यह तो 23 मई को ही पता चलेगा। मधुबनी की लड़ाई को रोमांचक बनाए हुए हैं पूर्व मंत्री शकील अहमद। शकील ने दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है। भाजपा के अशोक यादव को शकील अहमद से सीधी लड़ाई की बात अब राजनीतिक विश्लेषक भी करने लगे हैं।अभी यह कहना कि जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा? बहुत जल्दबाजी होगी। पर इतना तो तय हो गया है कि मधुबनी की लड़ाई में बद्री पूर्वे हाशिये पर चले गए हैं।
हालांकि, महागठबंधन के लिए सुखद है कि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शकील अहमद को छह साल के निष्कासित कर दिया है। साथ ही उन्हें साथ दे रही बेनीपट्टी की कांग्रेस विधायक भावना झा को भी पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। मगर सच्चाई यह है कि देखना यह है कि इस कार्रवाई का वोटरों पर लगभग न के बराबर असर हुआ।
छह विधानसभा क्षेत्र शामिल मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के दायरे के चार विधानसभा क्षेत्र (हरलाखी, बेनीपट्टी, बिस्फी और मधुबनी) मधुबनी जिले में पड़ते हैं, जबकि दो विस क्षेत्र केवटी व जाले दरभंगा जिले में पड़ते हैं। हरलाखी और जाले पर जदयू्, बेनीपट्टी में कांग्रेस, बिस्फी, मधुबनी और केवटी पर राजद का कब्जा है।
17 उम्मीदवार मैदान में
अपने चुनावी दौरों में अशोक कुमार यादव बताते रहे कि पांच साल में केंद्र सरकार ने विकास के कई काम किए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। दूसरी तरफ, बद्री कुमार पूर्वे इस चुनाव को देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई बताते रहे। मधुबनी के मैदान में कुल 17 उम्मीदवार हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां जीत का सेहरा किसके सर पर बंधता है?