ममता सरकार को अमित शाह के बजाय बिहार पुलिस पर क्यों है भरोसा
बंगाल में पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की नियुक्ति कराने के लिए भाजपा कोर्ट पहुंची। ममता सरकार को अमित शाह के बजाय बिहार पुलिस पर क्यों है भरोसा?
प. बंगाल में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। भाजपा चाहती है कि चुनाव केंद्रीय बलों की देखरेख में हो। इसके लिए वह हाईकोर्ट पहुंची है। शनिवार को राज्य चुनाव आयोग के साथ राज्य के वरीय पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पंचायत चुनाव में प. बंगाल की पुलिस को ही लगाया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो पड़ोसी राज्य बिहार, झारखंड और ओड़िशा की पुलिस का सहयोग लिया जाएगा। सोमवार को बंगाल सरकार को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखना है। सवाल है कि ममता सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय बलों पर भरोसा क्यों नहीं है और क्यों ममता सरकार को बिहार, झारखंड और ओड़िशा जैसे पड़ोसी राज्यों की के पुलिस बल पर भरोसा है।
न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार राज्य सरकार को सोमवार को अपना पक्ष कलकत्ता हाईकोर्ट की बेंच के समक्ष रखना है। पूरी संभावना है कि वह केंद्रीय बलों की नियुक्ति के बजाय पड़ोसी राज्यों से मदद लेने की बात रखेगी। राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा के साथ शनिवार को वरिष्ठ अधिकारियों की बैठ हुई। बैठक में राज्य के अधिकारियों ने केंद्रीय बलों की नियुक्ति का विरोध किया। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने अपना ब्लू प्रिंट रखा, जिसमें राज्य के सशस्त्र बलों के सहयोग से ही पंचायत चुनाव की रुपरेखा प्रस्तुत की गई। इसमें यह भी कहा गया कि जरूरत पड़ने पर बिहार, झारखंड और ओड़िशा पुलिस का सहयोग लिया जा सकता है। ये पड़ोसी राज्य हैं, जहां से सशस्त्र बलों को लाना आसान भी है।
याद रहे कि पिछले विधानसभा चुनाव में केंद्रीय बलों की नियुक्ति की गई थी, जिस पर भाजपा के पक्ष में काम करने के आरोप लगे थे। यही वजह है कि ममता सरकार नहीं चाहती कि गृह मंत्री के अधीन काम करने वाले केंद्रीय बलों की नियुक्ति हो, जबकि बिहार, झारखंड और ओड़िशा में गैर-भाजपा दलों की सरकार है और बंगाल प्रशासन को उम्मीद है कि इन राज्यों की पुलिस किसी दल विशेष के लिए काम नहीं करेगी।
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