मनुस्मृति दहन दिवस पर राजद भी कूदा, किया बड़ा हमला
आज मनुस्मृति को लेकर देश में जंग छिड़ी है। एक तरफ मनुस्मृति पूजक हैं तो दूसरी तरफ मनुस्मृति जलाने वाले। जंग में राजद भी कूदा। भारी पड़ा #मनुस्मृति_दहन_दिवस
25 दिसंबर, 1927 को डॉ. आंबेडकर ने मनुस्मृति जलाई थी। तब से हर वर्ष देश के दलित-आदिवासी संगठन, सामाजिक न्याय की शक्तियां आज के दिन मनुस्मृति दहन दिवस मनाती है। आज सुबह से ट्विटर पर #मनुस्मृति_दहन_दिवस तथा#मनुस्मृति_दहन_दिवस_की_बधाई ट्रेंड करने लगा। थोड़ी देर में मनुस्मृति के समर्थक भी #हम_मनुस्मृति_पूजेंगे हैशटैग के साथ ट्वीट करने लगे। हालांकि इस हैशटैग के साथ ट्वीट करनेवाले यह नहीं बता रहे कि वे मनुस्मृति की किन बातों का समर्थन कर रहे हैं। अधिकतर कह रहे हैं कि वे हिंदू हैं, उन्हें मनुस्मृति पर गर्व है। जबकि मनुस्मृति के विरोधी इसकी पंक्तियों को उजागर कर रहे हैं, जिसमें दलितों, महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव वाली बातें लिखी हैं। कई लोगों ने इस पर भी प्रकाश डाला है कि आंबेडकर ने क्या कहते हुए इस पुस्तक को जलाया।
इस बीच बिहार के सबसे बड़े दल राजद ने भी मनुस्मृति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पार्टी ने ट्वीट किया- ऊंच नीच, वर्ण व्यवस्था, जात-पात तथा उसके आधार पर बहुजनों पर अमानवीय अत्याचार को उचित ठहराने वाले #मनुस्मृती और उसके पैरोकारों का किसी सभ्य, लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता!
दिव्या आंबेडकर ने कहा- बाबा साहेब आंबेडकर मानते थे कि ब्राह्मणवाद का आधार मनुस्मृति है। यह पुस्तक द्विज को जन्म से उच्च मानती है और पिछड़ों, दलितों, महिलाओं को कमतर। आशुतोष वर्मा ने ट्वीट किया-10/129-130 (मनुस्मृति) में यह लिखा है- “शूद्र धन संचय करने में समर्थ होकर भी धन का संग्रह न करें क्योंकि धन पाकर शूद्र ब्राह्मण को ही सताता है।” बैन इवीएम ने कहा-*मनुस्मृति (8/21-22) के अनुसार ब्राह्मण चाहे अयोग्य हो, उसे न्यायाधीश बनाया जाए।
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