माया ने मुस्लिमों पर दोष मढ़ा, तो BJP की शरण जाने की सलाह भी

मायावती ने अपनी बुरी तरह हार के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार बताया. तो एक लेखक ने अंग्रेजी मीडिया में मुसलमानों को भाजपा से जुड़ने की सलाह दी।

चुनाव में हार होती रहती है, फिर जीत भी होती है। लेकिन सबसे प्रमुख बात है कि हार के बाद सही मूल्यांकन करना। बसपा प्रमुख मायावती ने कल तीन पन्नों का लंबा प्रेस बयान जारी करके अपनी पार्टी की हार के लिए यूपी के मुसलमानों को जिम्मेदार बताया। अभी इस पर लोग प्रतिक्रिया दे ही रहे थे कि आज रिडिफ.कॉम पर अंग्रेजी में एक तथाकथित बुद्धिजीवी ने लिखा कि मुसलमानों को भाजपा से जुड़ जाना चाहिए। स्थानीय भाजपा के कम उग्र नेता के साथ हो जाना चाहिए।

बसपा प्रमुख मायावती के मुसलमानों को जिम्मेदार बताने पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा-मुसलमान ने हमको वोट नहीं दिया। मुसलमान से इसको वोट दिया। शिकायत किस हक़ से कर रहे हैं लोग? इन लोगों ने क्या किया मुसलमानों के लिए? कब खड़े हुए? लोगों के घर कुर्क हुए। जेल हुई। हत्या हुई। कब गए लखनऊ के महल से निकलकर लोग? ठेका लिया है मुसलमानों ने तुम्हारा? मुकुंद वर्मा ने लिखा-मायावती जी ये क्यों नही कहती कि ब्राह्मण महासभा हमने भी कराए, लेकिन ब्राह्मणों ने हमे वोट नही किया। किस बात से डरती हैं या परहेज करती हैं।

डिजिटल मीडिया Rediff.com में शीला भट्ट ने यूपी चुनाव में भाजपा की जीत से मिल रही तीन शिक्षा शीर्ष लंबे आलेख में मुसलमानों से कहा है कि पिछले चार बार से हारनेवाली पार्टी के साथ रहकर मुसलमानों ने कुछ भी नहीं पाया। अब समय आ गया है कि मुसलमान मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हों। लगातार भाजपा को नकारने का कोई मतलब नहीं है। भाजपा में भी हर स्तर पर कई सॉफ्ट हिंदुत्व वाले नेता हैं, मुसलमान उनके साथ जुड़ जाएं।

इस सलाह पर अमेरिका-ब्रिटेन के अखबारों में लगातार लिखनेवाली राना अयूब ने कहा-इस तरह की बकवास बंद करिए।

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