मुस्लिम पिछड़ों की भी गिनती हो : बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा
अब यह तय हो गया है कि बिहार में जातीय जनगणना होगी। बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा ने राज्य सरकार को बधाई देते हुए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
बिहार अब जातीय जनगणना की तरफ कदम बढ़ा चुका है। एक जून को सर्वदलीय बैठक होगी और उसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा। वहां से निर्णय होते ही जातीय जनगणना पर कार्य शुरू हो जाएगा। इस जनगणना से साबित होगा कि प्रदेश में पिछड़ों की कितनी संख्या है और किस जाति की कितनी आबादी है। इस बीच बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा ने आज एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया। मोर्चा ने कहा कि पिछड़े मुस्लिमों की भी गिनती की व्यवस्था होनी चाहिए। आम तौर से धार्मिक समूहों में मुस्लिमों की गिनती तो हो जाती है, लेकिन पिछड़े मुस्लिमों की गिनती नहीं होती। इसीलिए सरकार को चाहिए कि वह पिछड़े मुस्लिमों की पूरी गिनती की कारगर व्यवस्था करे।
मोर्चा के अध्यक्ष कमाल अशरफ राइन ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के प्रश्न पर सर्वदलीय बैठक का बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा पुरजोर समर्थन करता है। मोर्चा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके लिए बधाई देते हुए उनके द्वारा उठाए गए इस कदम को साहसिक और सराहनीय बताया। कमाल अशरफ राइन ने एक प्रेस बयान जारी कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि पिछड़े व अति पिछड़े मुसलमानों का भी जातिगत आधारित जनगणना कराया जाए। उन्होंने कहा कि पचास से ज्यादा जातियां मुंगेरी फार्मुला के तहत बिहार में पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियों की श्रेणी में मौजूद हैं एवं OBC में भी हैं।
राइन ने कहा कि जल्द ही मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा और अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराएगा।
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