चुनाव टला तो झारखंड की तरह पूर्व मुखिया को मिलेगा अधिकार
कोरोना संक्रमण के कारण बिहार में पंचायत चुनाव टालने की घोषणा भर होनी है. इस बीच नये विकल्प के रूप में तत्कालीन प्रतिनिधियों के हाथों में ही अधिकार दिये जा सकते हैं.
राज्य सरकार इसके लिए दो उपायों पर विचार कर रही है. पहला- प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में पंचायतों का अधिकार सौंप दिया जाये. या फिर झारखंड की तरह तत्कालीन पंचायतों को ही अगले छह महीने तक अधिकार में विस्तार कर दिया जाये.
हालांकि बिहार पंचायत राज अधिनियमें में ऐसे किसी विकल्प का उल्लेख नहीं है. लेकिन झारखंड के पंचायत राज अधिनियम में यह विकल्प दिया गया है कि अधिकतम छह माह के लिए तत्कालीन प्रितनिधियों के हाथों में अधिकार दिया जा सकता है. इस वर्ष जनवरी में झारखंड सरकार ने कोरोना संकट के कारण पंचायत चुनाव टलने के बाद इसी विकल्प को लागू कर दिया है.
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बिहार में पंचायत संस्थाओं का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है ऐसे में अघर विघटित पंचायती संस्थाओं का अधिकार निवर्तमान प्रतिनिधियों को मिल सकता है।
हालांकि पंचायत राज विभाग ने अभी तक कोई निर्णया इस संबंध में नहीं लिया है. वह फिलवक्त दोनों विक्लपों अर्थात- निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों दोनों में से किसी एक को अधिकार सौंपने पर विचार कर रहा है. संभावना है कि एक सप्ताह बाद इस मुद्दे में अंतिम फैसले का ऐलान कर दिया जायेगा.
पंचायत चुनाव पर कानूनी संकट अध्यादेश की तैयारी में सरकार
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए थे. इस दौरान बड़े पैमाने पर कोरोना संक्मण फैला था जबकि हजार से अधिक चुनाव कर्मियों की मौत संक्रमण के कारण हो गयी थी. उधर मदरास और यूपी के हाईकोर्ट ने चुनाव के कारण बढ़े संक्रमण भारी नाराजगी जताई थी. मदरास हाईकोर्ट ने तो चुनाव आयोग पर हत्या का केस चलाने की धमकी तक दे दी थी.
ऐसी स्थिति में बिहार का चुनाव आयोग किसी तरह का जोखिम लेने के पक्ष में नहीं है.