क्या साम्प्रदायिक पुलिस के सामने लाचार हैं हेमंत सोरेन

रांची में पैगम्बर साहब की तौहीन Raju खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर अंधाधुंध फायरिंग से साबित हुआ कि रांची पुलिस साम्प्रदायिक मानसिकता से ग्रसित है.

साथ ही इस घठना ने यह भी सवाल छोड़ दिया है कि क्या झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन का नौकरशाहों पर नियंत्रण नहीं है?

यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रोटेस्ट रांची में भी हुआ और पटना में भी।पटना में पुलिस साइंस कॉलेज से जुलूस के साथ गई। जुलूस के मार्ग में किसी भी बाधा को हटाती गई। दो किलोमीटर पुलिस साथ पैदल चलती रही। कारगिल चौक पर जा कर प्रदर्शनकारी अपने घरों को लौट गये।

Ranchi Police की गुंडागर्दी, सौकड़ों फायरिंग से बर्बाद किया दर्जनों जीवन

जबकि रांची में पुलिस ने चंद मिनट के फासले पर प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की। भीड़ बड़ी थी लोग नहीं माने। बस इतना ही था कि पुलिस ने लोगों को लाठियों से मार कर हाथ पैर तोड़ना शुरू किया। भगदड़ मची। लोग उग्र हुए। पुलिस पर पथराव किया।रांची में प्रदर्शन करने वालों पर आँसू गैस नहीं छोड़ी गई। वाटर कैनन से तितरबितर नहीं किया गया। कमर के नीचे गोली नहीं मारी गई। बस टार्गेटेड फायरिंग में सीने और सरों पर निशाना लगाया गया।150 राउंड गोली से 25 लोगों को छलनी कर डाला गया। दो की मौत हुई। बाकी गिनती होती रहेगी, जैसे-जैसे मौत की घोषणा होगी।

रांची के पुलिस कप्तान सुरेंद्र झा और सिटी एसपी अंशुमान कुमार के नेतृत्व वाली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपना ‘धर्म’, निभाया, जिम्मेदारी नहीं.

घटना के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच कमेटी बना दी. इस कमेटी में दो नाम हैं. एक अमिताभ कौशल और दूसरे संजय आनंद. अमिताभ आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव हैं. जबकि संजय आनंद एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर हैं. उधर राजभवन ने संजय आनंद को तलब किया. राज्यपाल रमेश बैस ने उनसे मुलाकात की. कुछ निर्देश दिये. कहा गया कि उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जाये. खैर जो भी हो. संजय आनंद या किसी या डीजीपी को मुख्यमंत्री हेमेंत सोरेन ने तलब कर कुछ पूछा भी या नहीं, ऐसी खबर नहीं आयी. लेकिन जांच दल के अफसर को राजभवन ने तलब किया. राज्य का आईपीएस अफसर गृह मंत्रालय से किस तरह प्रभावित किया जा सकता है इसका उदाहरण पश्चिम बंगाल में देखा जा चुका है.

इस मामले में एक और दिलचस्प बात यह है कि रांची के डीआईजी अनीश गुप्ता ने एक एसाईटी बनायी है. इसकी जिम्मेदारी अंशुमन कुमार को दी है. अंशुमन रांची के सिटी एसपी हैं. अंशुमन ने खुद अपनी निगरानी में गोलियां चलवाईं. खुद ही लाठी डंडों से प्रदर्शनाकिरियों हमला किया. तो अंशुमन की जांच का क्या नतीजा आयेगा यह किसी से छिपा नहीं है.

इस पूरे घटनाक्रम पर जिस तरह हेमंत सोरेन बेबस और लाचार दिख रहे हैं. उससे उन पर यह आरोप लगना स्वाभाविक है कि राज्य के नौकरशाहों पर उनका नियंत्रण नहीं है.

आखिर क्या वजह है कि पटना में हुए प्रदर्शन में कोई हिंसा नहीं हुई जबकि रांची में पुलिस ने जुलूस को रोक कर भीड़ को उग्र किया.

By Editor