प्रधानमंत्री का पैर छूने को तैयार, पर अपमानित न करें : ममता
ममता बनर्जी ने कहा कि वे बंगाल की जनता के लिए प्रधानमंत्री का पैर छूने को तैयार हैं, लेकिन मेरा अपमान न करें। चीफ सेक्रेटरी को वापस भेजें।
आज प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे प्रधानमंत्री का पैर छूने को तैयार हैं, अगर इससे उन्हें खुशी मिलती है। लेकिन मेरा अपमान न करें, बदनाम न करें। राज्य के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंध्योपाध्याय को केंद्र में प्रतिनियुक्त करने का निर्णय वापल लें। यह कोरोना काल है, राज्य तूफान से हुई तबाही झेल रहा है, ठीक इसी बीच इस तरह अधिकारी को केंद्र में बुलाना अनुचित है।
ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र बदले की राजनीति कर रहा है। तूफान को लेकर जो बैठक थी, वह राज्य सरकार के साथ थी। उसमें विपक्ष के नेता को क्यों बुलाया गया। मालूम हो कि इससे पहले चार मंत्रियों को जेल जाना पड़ा, जबकि सीबीआई ने उसी केस में सुवेंदु अधिकारी को छुआ तक नहीं।
उधर कांग्रेस ने प. बंगाल के मुख्य सचिव को अचानक केंद्र में बुलाना संघीय ढांचे की हत्या बताया है। राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि ममता बनर्जी प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में देर से पहुंची, इसे वही भाजपा मुद्दा बना रही है, जिसके मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में शामिल होने से मना कर दिया था। जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे, तब उन्होंने मनमोहन सिंह के साथ बैठक में शामिल होने से इनकार किया था।
ममता ने कहा, हमें भारी बहुमत मिला, आप इसी से परेशान हैं। आप संघीय ढांचे को बर्बाद कर देना चाहते हैं। आप एक हार बर्दाश्त नहीं कर सकते। हमेशा लड़ने को तैयार हैं। बंगाल में भी आकर आपने वही किया। मेरे शपथ लेते ही राज्यपाल ने लॉ एंड ऑर्डर पर बयान दिया। मेरे शपथ लेने से पहले कुछ घटनाएं हुई थी, पर शपथ के बाद ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई गई। लेकिन इसके बावजूद भाजपा सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहती है। वे और मुख्यसचिव जब प्रधानमंत्री से मिलने कलायकुंडा पहुंचे, तो एसपीजी ने कहा कि एक घंटा इंतजार करिए। इसके बाद हमने सुना कि वे सम्मेलन हॉल में जा रहे हैं। हम वहां गए, तो वहां कुर्सी तक नहीं थी। हम कुछ दूर खड़े रहे और तूफान की तबाही की स्थिति बताई। बाद में उन्होंने खाली कुर्सी दिखाई। हो सकता है, बाद में रख दी हो। उन्होंने वह फोटो क्यों नहीं दिखाई, जिसमें हम खड़े होकर अपनी बात कह रहे हैं।
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हमने प्रधानमंत्री से अनुमति ली, तब बाहर निकले। बैठक में केंद्रीय मंत्री को बुलाने पर उन्हें आपत्ति नहीं है, पर स्थानीय विधायक को क्यों बुलाया। उन्होंने बंगाल में विपक्ष के नेता को मीटिंग में बुलाया, पर गुजरात में क्यों नहीं बुलाया।
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इस बीच सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि तूफान का असर बंगाल में नहीं हुुआ, फिर भी ममता इतनी राशि मांग रही हैं।