SC से तीस्ता सीतलवाड़ को मिली जमानत, गुजरात HC पर कही बड़ी बात
SC से तीस्ता सीतलवाड़ को मिली जमानत, गुजरात HC पर कही बड़ी बात। मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता को बड़ी राहत। जानिए SC ने गुजरात हाईकोर्ट पर क्या की टिप्पणी।
सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत दे दी। सुप्रीम अदालत ने अपने फैसले में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ी टिप्पणी भी की। कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का फैसला विकृत और अंतर्विरोधी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की बेंच ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए तीस्ता को नियमित जमानत दी है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तीस्ता सेतलवाड़ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पूरा मामले पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि फर्जी तौर पर सबूत गढ़ कर एफआइआर दर्ज की गई।
लाइव लॉ के अनुसार हाईकोर्ट की ओर से लिए गए विरोधाभासी दृष्टिकोण पर पीठ ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि विद्वान जज की ओर से पारित आदेश एक दिलचस्प अध्ययन है। एक तरफ, विद्वान जज ने यह देखने के लिए पन्ने खर्च किए हैं कि जमानत के चरण में इस पर विचार करना कैसे न तो आवश्यक है और न ही स्वीकार्य है कि प्रथम दृष्ट्या मामला बनता है या नहीं। विद्वान जज ने दिलचस्प बात यह कही कि चूंकि याचिकाकर्ता ने न तो सीआरपीसी की धारा 482 या संविधान के अनुच्छेद 226 या 32 के तहत कार्यवाही में एफआईआर या आरोप पत्र को चुनौती दी है, इसलिए उसके लिए यह कहना स्वीकार्य नहीं है कि प्रथम दृष्ट्या मामला नहीं बनता है। हमारे पास कानून की सीमित समझ यह है कि जमानत देने के लिए जिन बातों पर विचार करना आवश्यक है वे हैं (1) प्रथम दृष्ट्या मामला, (2) आरोपी द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ की संभावना या गवाह को प्रभावित करना, (3) न्याय से दूर भागना। अन्य विचार अपराध की गंभीरता है।
तीस्ता सेतलवाड़ को नियमित जमानत मिलने पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा विभिन्न संगठनों से संतोष और खुशी का इजहार किया है। उधर एक वर्ग नाराज भी दिख रहा है और कह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट को क्या हो गया है।
तीस्ता को जमानत मिलने के बाद अब सबकी नजर राहुल गांधी के केस पर है। मोदी सरनेम वाले केस में भी गुजरात हाईकोर्ट ने ही सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
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