वाट्सएप यूनिवर्सिटी के गुरु काबुल में फ्लैट दिला रहे
कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद जो लोग वहां जमीन का प्लॉट दिला रहे थे, अब वे काबुल में सस्ता फ्लैट दिला रहे हैं। दूसरे के दुख पर हंसने को क्या कहा जाए?
कुमार अनिल
कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद वाट्सएप यूनिवर्सिटी के गुरु वहां फ्लैट दिला रहे थे। कश्मीरी बेटियों के बारे में भद्दे मजाक चल रहे थे, जिन्हें लिखना हम पत्रकारिता के खिलाफ समझते हैं। अब आज एक वाट्सएप ग्रुप में मैसेज आया- ‘4 बीएचके बंगला, दो बाथरूम, एक गार्डेन और एक ओपन टेरेस-कुल 12 सौ वर्ग मीटर खरीदिए सिर्फ 50 हजार में। लोकेशन- उत्तरी काबुल। सिर्फ उन भारतीयों के लिए जो मोदी सरकार में असुरक्षित महसूस करते हैं।’
काबुल की स्थिति भयावह है। वहां तालिबानी हिंसा के डर से लोग भाग रहे हैं। हवाई जहाज के चक्के पर चढ़कर अफगानिस्तान से निकल जाने के प्रयास में गिरकर मरते हुए लोगों को देखकर मन विचलित हो जाता है। भूख-प्यास से लोग परेशान हैं। महिलाएं अपने भविष्य को लेकर डरी हुई हैं। और यहां वाट्सएप यूनिवर्सिटी में उनके दुख का मजाक उड़ाया जा रहा है। इसे क्या कहा जाए?
इस मैसेज से न सिर्फ किसी के दुख का मजाक उड़ाया जा रहा है, बल्कि अपने देश के भी एक बड़े वर्ग का उपहास किया जा रहा है। इशारा साफ है, जो लोग भी मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह ऑफर देकर अपने देश के नागरिकों की भी हंसी उड़ाई जा रही है।
वाट्सएप यूनिवर्सिटी प्रकारांतर से आलोचना के अधिकार का मजाक उड़ा रही है। जो महंगाई से परेशान हैं, जिन्हें रोजगार नहीं मिला, जो तीन कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं और जो मुल्ले काटे जाएंगे जैसे हिंसक नारे का विरोध कर रहे हैं, उन सबका उपहास किया जा रहा है। जो विदेशी स्पाइवेयर पेगासस के जरिये जासूसी के शिकार हुए, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है या जो संसद या सड़क पर पेगासस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं, उन सबका मजाक उड़ाना है।
ये मजाक उड़ानेवाले भूल जाते हैं कि धार्मिक उन्माद किसी के लिए अच्छा नहीं होता। दुनिया का कोई भी लोकतंत्र धार्मिक उन्माद से फल-फूल नहींं सकता। यह किसी एक धर्म के खिलाफ शुरू होता हो, पर घूमकर फिर उस धर्म के लोगों को भी नहीं बख्सता।
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