पटना, 11 मई 2018: सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने बिहार सरकार द्वारा पटना महानगर के लिए ‘क्लीन एयर एक्शन प्लान’ तैयार करने के निर्णय का स्वागत किया है।

 

सीड का मानना है कि वायु की गुणवत्ता बेहतर करने से संबंधित यह रेगुलेटरी फ्रेमवर्क प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों जैसे ट्रांसपोर्ट, ईंट-भट्ठा उद्योग, ठोस ईंधन का जलावन और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों से पैदा धूल-प्रदूषण आदि कारकों को चिन्हित करने और प्रदूषण दर घटाने में कारगर होगा। स्वच्छ वायु कार्ययोजना एक व्यापक नियामकीय मसौदा है, जो वायु प्रदूषण नियंत्रण को इंटिग्रेटेड एप्रोच और अंतर-विषयक प्रयासों से निबटने पर जोर देता है। सीड का यह भी मानना है कि क्लीन एयर एक्शन प्लान शहर में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थिति बेहतर करने और इनकी संख्या में वृद्धि के जरिये पॉल्युशन मॉनिटरिंग में इजाफा करने में भी मददगार साबित होगा।

पटना के अलावा बिहार के अन्य दो शहरों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी दुनिया के 20 सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहरों में गिना गया है। राजधानी पटना का स्थान जहां 5वां है, वही गया को इससे ऊपर चौथा स्थान और मुजफ्फरपुर को 9वां स्थान दिया गया है।1 डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कानपुर को दुनिया के सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहर के रूप में आंका गया है, वहीं फरीदाबाद और वाराणसी को इसके बाद का स्थान मिला है।

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीड के चीफ एक्जीक्युटिव ऑफिसर श्री रमापति कुमार ने बताया कि ‘राज्य सरकार द्वारा क्लीन एयर एक्शन प्लान की शुरूआत सही समय पर उठाया गया स्वागतयोग्य कदम है। हम लंबे अरसे से ऐसी पहल करने की मांग राज्य सरकार से कर रहे थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल में जारी रिपोर्ट में बिहार के तीन शहरों को सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में आंका जाना हमारे इस विचार की पुष्टि करता है कि एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क इस पर्यावरणीय और जन स्वास्थ्य संकट से निबटने और एक स्वच्छ बदलाव के लिए जरूरी प्रोत्साहन लाने के लिए बेहद जरूरी है।’ उन्होंने आगे बताया कि ‘राज्य के अन्य शहरों जैसे गया और मुजफ्फरपुर के लिए भी ऐसा ही कदम उठाया जाना चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण संबंधी ठोस और बेहतर आंकडे प्राप्त करने के लिए पर्याप्त संख्या में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों की फौरी जरूरत भी है, ताकि शहरों का पॉल्युशन प्रोफाइल महज एक मॉनिटरिंग स्टेशन पर आधारित नहीं हो, जैसाकि डब्ल्यूएचओ की पॉल्युशन डाटाबेस रिपोर्ट में दर्ज किया गया है।’

अभी हाल में भारत सरकार ने ‘‘नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम’’ पर कॉन्सेप्ट नोट का एक ड्राफ्ट जारी किया है और जनता व सिविल सोसायटी संगठनों से कार्यक्रम में सुधार के लिए टिप्पणी व प्रतिक्रिया आमंत्रित की है। यह मसौदा 100 ‘अप्राप्य शहरों’ (नन-अटैनमेंट सिटीज) में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए बेहतर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग, दक्ष डाटा वितरण प्रणाली तथा पब्लिक आउटरिच मैकेनिज्म और वायु प्रदूषण नियंत्रण व निवारण के लिए बहुक्षेत्रीय और गंठबंधनपरक तरीकों के तहत व्यावहारिक प्रबंधन योजना पर ध्यान केंद्रित करती है। हालांकि आश्चर्य की बात यह है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा तैयार इन 100 शहरों, जहां इस कार्यक्रम को लागू किया जाना प्रस्तावित है, की लिस्ट में बिहार के किसी एक शहर को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इस सूची में अधिक शहरों के मामले में महाराष्ट्र राज्य से सबसे ज्यादा 17 शहर और इसके बाद उत्तर प्रदेश के 15 और पंजाब के 8 शहरों को शामिल किया गया है।2

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के बारे में सीड के प्रोग्राम डायरेक्टर श्री अभिषेक प्रताप ने विस्तार से बताया कि ‘यह प्रोग्राम वायु प्रदूषण में कटौती को दिल्ली महानगर से लेकर देश भर में फैले अन्य छोटे और बड़े शहरों तक विस्तारित करने का इरादा रखता है, जहां बढ़ते प्रदूषण से निबटने के लिए क्रॉस सेक्टरोल एप्रोच यानी बहुक्षेत्रीय तरीके को बतौर उपाय चिन्हित किया गया है। यह देखना रूचिकर है कि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम ने वायु प्रदूषण से जुड़ी और निरंतर बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को स्वीकार किया है और केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में एयर पॉल्युशन हेल्थ इंपैक्ट पर एक शोध-अध्ययन शुरू किया गया है। इस प्रोग्राम के तहत वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में मॉनिटरिंग नेटवर्क का विस्तार, प्रदूषक स्रोत संविभाजन अध्ययन (सोर्स एपोर्शमेंट स्टडी), देश में समग्र वायु गुणवत्ता मानक को समझने के लिए 10 शहरों का सुपर नेटवर्क तैयार करना, एयर इनफॉरमेशन सेंटर की स्थापना और अधिकाधिक जनभागीदारी को मुख्य रूप से रेखांकित किया गया है। इस प्रोग्राम की अनुमानित लागत 637 करोड़ रु आंकी गयी है। हालांकि इससे बिहार को कोई फायदा होगा भी या नहीं, यह एक विचारणीय मुद्दा है, क्योंकि इस सूची में राज्य के किसी शहर का उल्लेख नहीं किया गया है।’ श्री प्रताप ने आगे बताया कि ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘‘नन-अटैनमेंट सिटीज’’ की सूची में बिहार के किसी शहर का नाम नहीं है, हालांकि नेशनल क्लीन एक्शन प्रोग्राम के ड्राफ्ट डॉक्युमेंट में बिहार राज्य का जिक्र किया गया है। मैं सक्षम पदाधिकारियों से अपील करता हूं कि इस त्रुटि पर ध्यान दें, ताकि इस प्रोग्राम का वास्तविक फायदा बिहार तक भी पहुंचे और राज्य ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम से कहीं वंचित नहीं रह जाये।’

यह बताना प्रासंगिक होगा कि सीड ने वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को रेखांकित करने के लिए पटना, मुजफ्फरपुर और गया से संबंधित सालाना ‘एंबियंट एयर क्वालिटी रिपोर्ट’ जारी की है।

By Editor