शादी की समस्या से जूझते समाज का आईना है यह पुस्तक 'मनी एंड मैरिज समस्या और समाधान'

शादी की समस्या से जूझते समाज का आईना है यह पुस्तक ‘मनी एंड मैरिज समस्या और समाधान’

शादी की समस्या से जूझते समाज का आईना है यह पुस्तक ‘मनी एंड मैरिज समस्या और समाधान’

जिंदगी गुजारनी के लिए रुपयों की जरूरत होती है लेकिन यह रुपया इमानदारी से कमाया जाना चाहिए।गलत तरीके से कमाए गए अधिक पैसों से भौतिक सुख तो मिल सकता है लेकिन कामयाब जीवन नहीं।यह बातें जाने माने साहित्यकार शफी मशहदी ने कहीं।

सरफराज आलम की  पुस्तक दिखाती है रास्ता

पत्थर की मस्जिद रोड स्थित जमात इलामी हिंद बिहार में मंगलवार को उन्होंने सरफराज आलम की लिखी पुस्तक मनी एंड मैरिज समस्या और समाधान के विमोचन समारोह में कहीं।उन्होंने इस पुस्तक को समाज के हर उम्र विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरक एवं आवश्यक बताया।
श्री मशहदी ने कहा कि पैसा कमाने और इसे खर्च करने तथा विवाह कर आदर्श जीवन गुजारने में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के साथ इस पुस्तक में उसका समाधान भी कुरआनशरीफ की रोशनी में बताया गया है।

उर्दू निदेशालय के सहयोग से प्रकाशित इस पुस्तक को असलम जावेदा ने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में मजबूत कड़ी बताया।
संचालन कर रही शिक्षाविद डॉ. रेहान गनी ने कहा कि गलत माध्यमों से दौलत कमाने और दिखावे के लिए विवाह समारोह में अनावश्यक धन लुटाने की सोच बदलनी में यह पुस्तक सफल साबित होगी।

इस्लामिक शिक्षाविद अबु नसर फारूक ने पुस्तक मनी और मैरेज को पढ़ने और इस व्यवहारिकता में लाने पर बल दिया।
लेखक डॉ. ध्रुव कुमार ने विवाह में फिजूलखर्ची को समाप्त कर बचे पैसों से जरूरतमंदों की सहायता करने की बात कही।
इस्लामिक स्कॉलर फजले करीम कासमी ने कहा कि लेखक इस पुस्तक के विषयों से पाठक को झकझोरने और उन्हें लिखी बातों पर अमल करने के लिए बाध्य करने में कामयाब हुए हैं।

उर्दू में लिखी पुस्तक मआश और रिश्तए एज़दुआज यानी मनी एंड मैरेज के लेखक सरफराज आलम ने कहा कि जीवन यापन के लिए पैसा कैसे और कितना कमाया जाए?विवाह का स्वरूप क्या हो? कम कमाने और विवाह करने में तालमेल कैसे हो? इमानदारी से कमाये गए कम पैसे में खुशहाल दंपति जीवन कैसे गुजारा जाए ?

जैसी समस्याओं का हल बताने वाली इस पुस्तक में कई और प्रसांगिक विषयों पर अध्यात्मिक मंथन कर सही मार्ग बताने का प्रयास किया गया है।
जमात इस्लामी हिंद बिहार के स्थानीय अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने व्हाट्सएप और फेसबुक की दुनिया से निकल कर युवाओं से किताबें पढ़ने का आह्वान किया. वर्षों के अनुभव और शोध उपरांत प्रकाशित उक्त पुस्तक को उन्होंने आज की जरूरत बताया. लेखक एवं शिक्षाविद् अंजार अहमद सादिक, जफर सुल्तान, हामिद हुसैन नकवी, शकील हसन, शाहिद अनवर, मोईन आलम, डॉक्टर अब्दुल वाहिद अंसारी समेत अन्य ने पुस्तक के विषयों को समसामयिक बताते हुए इसे युवाओं के लिए मार्गदर्शक कहा. कार्यक्रम मे याकूब अशरफी, अनवारूल होदा, मोहम्मद जावेद, मुमताज जहां, अनिल रश्मि व अन्य उपस्थित थे

By Editor