देश में पहली बार : संघ-भाजपा के खिलाफ तेजस्वी का बड़ा एलान

उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने संघ-भाजपा के खिलाफ वैचारिक संघर्ष तेज करने और बिहारी समाज में उसे अलग-थलग करने के लिए किया बड़ा एलान।

संत रैदास के चित्र के साथ तेजस्वी यादव। साथ में पार्टी के दलित चेहरा शिवचंद्र राम।

कुमार अनिल

राजद राज्य परिषद की बैठक में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को भाजपा-संघ के खिलाफ वैचारिक संघर्ष तेज करने के लिए ऐसा एलान किया, जो आज से पहले किसी राजनीतिक दल खासकर सामाजिक न्याय और दलित राजनीति करनेवाली किसी पार्टी ने नहीं किया था। इस एलान का राजनीतिक मकसद भी है और समाजिक अर्थ भी।

तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि आज के बाद राजद के जितने भी पोस्टर, बैनर, होर्डिंग या बोर्ड बनेंगे, सभी में ऊपर कबीर और रैदास के चित्र भी होंगे। जो बिहारी समाज को जानते हैं, उन्हें पता है कि कबीर और रैदास आज भी किन घरों में जीवित हैं। उन्होंने कहा कि अब तक हमारे किसी भी पोस्टर या किसी भी कार्यक्रम के बैनर में गांधी, लोहिया और आंबेडकर की तस्वीरें रहती हैं, अब उनके साथ कबीर और रैदास के भी चित्र रहेंगे।

तेजस्वी यादव की इस घोषणा में राजनीतिक और समाजिक दोनों संदेश हैं। भाजपा और संघ की विचारधारा के खिलाफ वाम दल अपने ढंग से और कांग्रेस अपने तरीके से मुकाबला कर रही है। तेजस्वी यादव ने संघ-भाजपा की विचारधारा के खिलाफ संघर्ष को अपने पुराने सामाजिक न्याय के आंदोलन का हिस्सा बना लिया है।

सभी को मालूम है कि कबीर और रैदास हिंदू राष्ट्र की विचारधारा में फिट नहीं बैठते। दोनों ने ही ब्राह्मणवाद के खिलाफ अपने समय में आम जन को गोलबंद किया। अभी एक शिक्षा संगठन ने मनु स्मृति पढ़ाने का निर्णय लिया है। इसे कोर्स की पढ़ाई में शामिल किया गया है। राजद का यह एलान संघ से उसकी विभाजन रेखा को और भी मोटी करेगा।

तेजस्वी यादव की इस घोषणा में राजनीतिक संदेश भी है। संदेश है कि खासकर दलित राजनीति करनेवालों ने संघ-भाजपा के सामने समर्पण कर दिया है। सिर्फ जयंती के दिन ही उन्हें औपचारिक नमन किया जाता है। अब राजद कबीर और रैदास के जरिये समाज के कमजोर वर्गों को भाजपा-संघ से दूर रखने की कोशिश करेगा। परिणाम जो भी हो, पर निर्णय अच्छा है।

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