बिहार का इस सबसे खूबसूरत सरकारी स्कूल को देख आप भी गर्व करेंगे

बिहार का इस सबसे खूबसूरत सरकारी स्कूल को देख आप भी गर्व करेंगे
  • समस्तीपुर में ‘शिक्षा एक्सप्रेस’ की क्लास में पढ़ते हैं बच्चे

  • बिहार का सबसे खूबसूरत सरकारी स्कूल नंदिनी

समस्तीपुर से दीपक कुमार ठाकुर,ब्यूरो प्रमुख,मिथिलांचल

समस्तीपुर जिले का राजकीयकृत मध्य विद्यालय नंदिनी बिहार का इकलौता ऐसा स्कूल है,जिसकी खूबसूरती इन दिनों सुर्खियों में है।रंग-रोगन और तरह-तरह के फूलों से गुलजार यह स्कूल पूरे बिहार में एक उदाहरण पेश कर रहा है।

 

आप भी देखिए स्कूल की खूबसूरत तस्वीर और जानिए आखिर क्या खास है इस सरकारी स्कूल में,जो बिहार के और किसी स्कूल में कहीं नहीं दिखता।जितने पैसे बिहार के अन्य विद्यालयों को मिलते हैं,उतने ही पैसे में विद्या मंदिर को स्वर्ग सा सजाया गया है।

 

इतना ही नहीं, मोहिउद्दीननगर प्रखंड के नंदिनी गांव के इस स्कूल कैंपस में ही एक ट्रेन नजर आती है. जिसे शिक्षा एक्सप्रेस का नाम दिया गया है. इसी के अंदर बच्चों की क्लास चलती हैं.

बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर तो आपने जरूर देखी होगी, लेकिन इससे उलट यहां से एक दिलचस्प तस्वीर सामने आई है. समस्तीपुर जिले में एक ऐसा स्कूल है, जहां शिक्षा एक्सप्रेस में बैठाकर बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है.

गंगा दियारा का नंदनी गांव

दरअसल, समस्तीपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर गंगा के दियारा क्षेत्र में नंदनी गांव है. यहां का राजकीयकृत मध्य विद्यालय नंदिनी आजकल काफी चर्चा में है. खासकर यहां की शिक्षा एक्सप्रेस को लेकर दूर-दूर तक चर्चा हो रही है.

नंदनी स्कूल शिक्षा एक्सप्रेस में पढ़ते बच्चे

इसकी वजह ये है कि स्कूल कैंपस में एक ट्रेन नजर आती है. जिसे शिक्षा एक्सप्रेस का नाम दिया गया है. हालांकि, ये कोई पटरी पर दौड़ने वाली असली ट्रेन नहीं है, बल्कि स्कूलों की दीवारों को ही पेंटिंग के जरिए ट्रेन का अवतार दिया गया है.

कक्षा 1 से लेकर 8 तक के बच्चों को इन ट्रेननुमा क्लासरूम में पढ़ाया जाता है. इसमें एक बोगी के अंदर 3 क्लासरूम की शक्ल दी गई है. इस विद्यालय को आदर्श विद्यालय दर्जा भी प्राप्त है.

ऐसा है स्कूल

समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन नगर प्रखंड के नंदनी में 1925 ई. में इस स्कूल की स्थापना हुई थी. विद्यालय के प्रधानाध्यापक राम प्रवेश ठाकुर ने भी इसी स्कूल से अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी की थी. उन्होंने ही गांव में शिक्षा की अलख जगाने के लिए स्कूल का वातावरण बदलने की ठानी है.

इसके लिए उन्होंने सबसे पहले स्वच्छता पर ध्यान दिया. पर्यावरण की दृष्टि से काम कराए और उसके क्लासरूम को ट्रेन का रूप देकर स्कूल को प्रसिद्ध बना दिया.

इस स्कूल में 750 छात्र-छात्राएं पढ़ते है और 14 शिक्षक इन्हें पढ़ाते हैं. यहां कुल 27 कमरे हैं. प्रिंसिपल ठाकुर ने बताया है कि बिहार सरकार से हर साल स्कूल 12 हजार का फंड मिलता है, उसी से इन्होंने स्कूल का कायाकल्प कराया है.

By Editor