सुनो 20 करोड़ मुसलमानो! वादा करो कि एक आदमी भी NRC में नाम दर्ज नहीं करायेगा, वे हमें देश से निकाल कर दिखायें

नागरिकता बिल और NRC सिर्फ मुसलानों के खिलाफ नहीं है. यह देश के तमाम नागरिकों के खिलाफ है. यह क्षेत्रीय दलों के वजूद के खिलाफ है. यह देश के संविधान के खिलाफ है.यह मानवाधिकार के खिलाफ है.

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

अगर भाजपा यह समझती है कि नागरिकता संशोधन कानून के द्वारा मुसलमानों को निशाना बना कर, बहुसंख्य हिंदुओं का वोट पोलराइज कर लेगी तो यह उसकी भूल है. मुसलमानों ने असम के एनआरसी से सबक सीख लिया है. दो साल तक अपना कारोबार, अपनी रोजी-रोटी अपना हर काम छोड़ कर हिंदुओं और मुसलमानों ने एनआरसी के कागजात बनवाए. 19 लाख लोग कागजात से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सके. लेकिन नागरिकता संशोधन कानून अब इन 19 लाख में से 14 लाख हिंदुओं को स्वत: नागरिकता मिल जाने का रास्ता साफ करके दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश हो रही है. अगर इसे पूरे भारत में लागू किया गया तो हिंदू मुसलमान समेत70 से 80 करोड़ लोग कागजात से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे. क्योंकि उनके पास अपने बाप-दादों के कोई प्रामाणिक सुबूत नहीं मिलेंगे. फिर वही होगा, मुसलमानों को छोड़ कर तमाम समुदायों की नागरिकता खतरे में नहीं पड़ेगी.

 क्षेत्रीय दलों का वजूद भी मिट जायेगा

ऐसे में अगर कोई मुसलमान इस मुगालते मेंरहता है कि वह अपने तमाम संसाधन झोंक कर कागजात इकट्ठे करेगा तो वह भयावह भूल करेगा. हम लोकतांत्रिक देश में हैं. यह देश हमारा है. यहां की मिट्टी हमारी है. इस मिट्टी में हमारे खून का एक एक कतरा लगा है. अंग्रेजों की गुलामी को ध्वस्त करने के लिए हमारे बाप दादों ने हजारों जानें कुर्बान की हैं. अपनी शहादत दी है. इस देश पर, इस देश की आजादी पर, इस देश की एकता और अखंडता पर अब आरएसएस-भाजपा ने गुलामी का षड्यंत्र रच दिया है. हम उनकी गुलामी की जंजीरों को लोकतांत्रिक तरीके से तोड़ेंगे.

गांधी हैं हमारे प्रेरणा, तोड़ेंगे कानून

हम अमनपंसद लोग हैं. हम इस देश की  नयी आजादी के लिए अपनी शहादत देने को तैयार हो जायें. देश के 20 करोड़ मुसलमान इस काले कानून की उसी तरह खिलाफवर्जी करेंगे जिस तरह बापू ने अंग्रेजों के नमक कानून का विरोध किया. हम गांधी के नमक सत्याग्रह से प्रेरणा लेंगे. हम एनआरसी में अपना नाम तब तक दर्ज नहीं करायेंगे जब तक इसमें भेदभाव रहेगा.

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न सिर्फ भारत का मुसलामान परंतु तमाम अमन पसंद लोग इस बात पर एक मत हैं. हम इस काले कानून के खिलफ लड़ेंगे. लोकतांत्रिक ताक के सामने जब गोरे अंग्रेज नहीं टिक पाये तो यह याद रखो कि ये काले अंग्रेज भी हमारे सामने झुकने को मजबूर होंगे.

घबराओ नहीं मुसलमानों

नागरिकता संशोधन बिल जो कानून बनने की राह पर है. एनआरसी जिसे भाजपा लागू करन चाहती है ये दोनों मुसलमानों के वजूद के खिलाफ नहीं बल्कि देश की तमाम सेक्युलर जमात, क्षेत्रीय दलों के वजूद को मिटाने का षड्यंत्र है. जब भारत के मुसलमानों की नागरिकता खतरे में होगी तो वह वोट के अधिकार से वंचित होंगे. ऐसे में सपा, बसपा, टीएमसी, राजद जैसे दल चुनाव के मैदान में जाने का साहस तक नहीं जुटा पायेंगे.ये तमाम दल मिट जायेंगे. इसलिए एनआरसी और नागरिकता बिल का विरोध ही एक मात्र उपाय है.

याद रखो मुसलमानों और यह तय कर लो. अपनी मिट्टी, अपने देश और अपने वजूद को बचाने के लिए लोकतंत्र की ताकत को हथियार बनाओ. यह तय करो कि हम एनआरसी के मौजूद स्वरूप में अपन नाम दर्ज नहीं करायेंगे. हुकूमत 20 करोड मुसलमानों को जेल में डालन का साहस नहीं जुटा पायेगी. 20 करोड़ लोगों को समंदर में नहीं डाल पायेगी.

हम लड़ेंगे साथी.

इर्शादुल हक

एडिटर, नौकरशाही डॉट कॉम

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