उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज बताया कि राज्य में पिछले तीन साल में आई बाढ़ और सुखाड़ से प्रभावित क्षेत्रों मे राहत कार्य पर सरकार ने छह हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

श्री मोदी ‘जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि’ कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर कहा कि इस साल जुलाई में औसत से 20 प्रतिशत अधिक, अगस्त में 51 प्रतिशत कम और सितम्बर में 82 फीसदी अधिक बारिश होने के कारण बिहार में कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हुई। जलवायु परिवर्तन का विकास पर सीधा असर पड़ रहा है। पिछले तीन वर्षों (2017-19) में 5962.64 करोड़ रुपये अनुग्रह राशि एवं फसल क्षति अनुदान के तौर पर खर्च करना पड़ा है। यदि जलवायु परिवर्तन के असर से बाढ़-सुखाड़ की स्थिति नहीं होती तो इतनी बड़ी राशि विकास के अन्य कार्यों पर खर्च होती।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल दो बार आई बाढ़ से प्रभावित कुल 31 लाख परिवारों को छह-छह हजार रुपये की दर से 1912 करोड़ रुपये अनुग्रह राशि तथा कुल 396140 हेक्टेयर में फसल क्षति अनुदान के तौर पर 507.89 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में आई अचानक बाढ़ के बाद 38 लाख परिवारों को अनुग्रह राशि मद में छह-छह हजार रुपये की दर से 2358.24 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।

श्री मोदी ने बताया कि अल्पवर्षा के कारण पिछले तीन वर्षों में उत्पन्न सूखे के कारण किसानों को 1184.51 करोड़ रुपये फसल क्षति अनुदान के रूप में दिया गया है। इस साल जहां अल्पवर्षा के कारण 3.79 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी नहीं हो पाई वहीं वर्ष 2018 में अल्पवर्षा के कारण प्रदेश के 280 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा था। वहीं, उप मुख्यमंत्री ने अधिवेशन भवन में विश्व बाल दिवस पर आयोजित ‘किशोर-किशोरी शिखर सम्मेलन’ का उद्घाटन करने के बाद कहा कि वर्ष 1921 और 1925 में दो बार विधेयक गिरने के बाद वर्ष 1929 में जाकर बिहार की बालिग महिलाओं को चुनाव में खड़ा होने का नहीं केवल मतदान का अधिकार मिला। बिहार में बाल विवाह के आंकड़ों में कमी आई है। वर्ष 2005-06 में बाल विवाह की दर जहां 63 प्रतिशत थी वहीं 2015-16 में यह घटकर 42 फीसदी रह गयी है। बाल विवाह निषेद्य अभियान के बाद नया आंकड़ा आने पर यह दर और कम होगी।

By Editor