युवा बिहार, बूढ़ा नेतृत्व : तेजस्वी की लाइन पर आया JDU

पिछले साल विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने बार-बार कहा था कि नीतीश थक गए हैं, उनसे बिहार संभल नहीं रहा। अब खुद JDU ने भी स्वीकार किया।

कोविड, लॉकडाउन के दौरान जनता को उसके हाल पर छोड़ देने, रोजगार देने में विफल और खासकर केंद्र से बिहार का हक लेने के मामले में बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थक गए हैं।

आज जदयू के कई सीनियर नेताओं ने स्वीकार किया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते-करते वे थक गए। अब हम इस मांग को छोड़ रहे हैं। जदयू के बड़े नेताओं के इस बयान के बाद राजद ने कहा कि उनकी बात सही साबित हुई है। नीतीश कुमार थक चुके हैं और वे बिहार को आगे बढ़ाने की चुनौती का सामना नहीं कर सकते। इससे बिहार के करोड़ों युवाओं का भविष्य अंधकार में चला गया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले चुनाव में खुद कहा था कि यह उनका अंतिम चुनाव है। आज जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह, वरिष्ठ नेता बिजेंद्र यादव ने कहा कि विशेष राज्य की मांग करते-करते वे थक गए हैं। अब ये मांग छोड़ रहे हैं।

जदयू का बयान सामने आते ही तेजस्वी यादव ने करारा हमला किया- पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिला पाए वो मुख्यमंत्री बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्या दिला पाएंगे? क्या यही 40 में से 39 सांसदों वाला डबल इंजन है? मैंने पहले ही कहा था नीतीश जी थक चुके हैं। अब तो उनकी पार्टी स्वयं मान रही है कि पार्टी भी थक चुकी है।

तेजस्वी ने जोश के साथ दावा किया कि 2024 में अगर हमारा गठबंधन बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतता है तो जो भी प्रधानमंत्री होंगे, स्वयं पटना आकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा करेंगे। क्योंकि हम नीति, सिद्धांत, सरोकार, विचार और वादे पर अडिग रहते है। हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हम जो कहते है वो करते है।

राजद ने जदयू के मंत्री बिजेंद्र यादव का वीडियो सेयर करते हुए कहा-एक थक चुका लाचार कुर्सी-लालुप नेता सबसे अधिक युवाओं वाले राज्य का नेतृत्व कभी कर सकता है? जो PU को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा तक दिला नहीं पाए, #caste_census के लिए मना नहीं पाए, विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज दिला नहीं पाए वो कर ही क्या सकते हैं?

बुढ़ापा का संबंध सिर्फ उम्र से नहीं होता। लेकिन उम्र से बुजुर्ग होने के साथ ही जब नया कुछ करने का जोश, विजन खत्म हो जाता है और केंद्र से लड़कर अपना हक हासिल करने का हौसला खत्म हो जाता है, तब मान लीजिए कि नेतृत्व बुढ़ा गया, थक गया। ऐसे नेतृत्व से सबसे बड़ा संकट युवाओं के सामने आता है, क्या होगा उनका भविष्य?

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By Editor