वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के बाद अप्रत्यक्ष कर राजस्व संग्रह में भारी वृद्धि का हवाला देते हुये नई दिल्ली में कहा कि 500 और एक हजार रुपये के पुराने नोटों का प्रचलन बंद किये जाने का अर्थव्यवस्था पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडेगा। उन्होंने कहा कि आलोचकों की आशंका निर्मूल साबित हो चुकी है।
श्री जेटली ने संवाददाताओं से चर्चा में नोटबंदी का समर्थन करने के लिए आम लोगों को धन्यवाद देते हुये कहा कि नकदी की तंगी लगभग समाप्त हो चुकी है। इस दौरान एक भी अप्रिय घटना नहीं हुयी है। रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त मात्रा में नोट हैं और 500 रुपये के नये नोट जारी किये जा रहे हैं। नोटों को पुन: प्रचलन में लाया जा रहा है और बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जीवन बीमा, पर्यटन, पेट्रोलियम उपभोग और म्युचुअल फंड निवेश बढ़ा है। रबी की बुआई भी पिछले वर्ष की तुलना में 6.3 रिपीट 6.3 प्रतिशत अधिक रही है।
उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 14.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुयी, जबकि इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 8.3 प्रतिशत रही थी। इस अवधि में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 26.2 प्रतिशत, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 43.5 प्रतिशत सेवा शुल्क 25.7 प्रतिशत और सीमा शुल्क में 5.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। श्री जेटली ने कहा कि आलोचक गलत साबित हो चुके हैं। कर राजस्व में बढ़ोतरी से आलोचकों का अनुमान गलत हो गया है। पिछले छह सप्ताह में स्थिति में भारी बदलाव आया है।